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________________ REGISTERE NO A-731. मुख्तार श्रीक जुगलाकशास्चित ग्रन्थोंकी सूची (संकयिता-श्री परमानन्द शास्त्री, बीरमबामन्दिर) मनमषिकार मीमासा १९१३ १३ जैनाचार्योका शासनमेव (जैनी शासनमेदसहित)सं १९८५ मानत्य भावना १८१४ १४ मेरा द्रव्यपूजा (कविता) १९२८ री भावना १६१६ १५ इम दुखी क्यों है?' अगस्त १९२८ थपरीक्षा प्रथमभाग १६१७ १६ सिादसोपान (करिता) न्यपरीक्षा द्वितीयभाग १९१७ १७ प्रन्यपरीक्षा चतुर्थगाम जनवरी १९३४ ६ वीर पुमा जलि १९२० १८ बृहत्स्वयंभूस्तोत्रका अनुवाद १९४३ ७ आसातत्व १९२१ १६ रत्नकरण्डारकाचारका अनुवाद (अप्रकाशित) १६४२ है ग्रन्थपरीक्षा तृत यभाग संयोकि १६२१ २. सत्याधु-स्मरण-मंगलपाट (प्रेसमें) रत्नकरण्डाकाचारकी प्रस्तावना नोट:-इन ग्रन्थोंक अतिरिक्त मुख्नार साहबके लिखे हुए २.. १० स्वामी ममन्तभद्र वैशाख शुक्ल २ सं० १९६२ के करीब लेग्योंका एक सूची स्थान निर्देशक कमसहित तैयार ११ विवाह समुद्देश्य . म. १६७६ की गई थी जो स्थानाभावके कारण इस अहमें नहीं १२ विवाहक्षेत्र प्रकाश १६२५ ' दी जासकी। 166, पाठकोंसे थमायाचना चौपी किरणमें गई विज्ञप्ति के अनुसार यह अङ्क हमारी व्यवस्थाके अनुसार १५ दिसम्बर तक पाठकोंकी सेवा में पहुँच जाना चाहिये था पर अत्यावश्यक मैटर के बाहुल्य और अङ्कको मुन्दर और उपयोगी बनाने के लोगको संवरण न कर मनके कारगा यह अङ्क संयुक्त किरणक रूपमें पाठकोंके हाथ में पहुँच रहा है । पर संयुक्त किरण होते हुए भी पाठकोको पेन और मैटरकी हम घाटाम होगर लाम ही आधारमा २ थोमे पेज और मेटर इम मागे अधिक ही हैं और टाईटिल पृथक है। फिर भी पाठकोको ना प्रतीक्षाान्य कर उठाना पहाउस लिये मैं न ( CN क्षमा चाहता हूँ। -कौशनप्रमाद जैन 'भनेकान्त' के अनन्य सहायक "मेरी प्रार्थनार ध्यान देकर बहुनमे बन्धुश्राने अनेकान्त' को प्राहक. सहायक बनाकर देय अपूर्व सहयोग दिया और बराबर देते रहे हैं उनमें में श्री पं. शोभाचन्द्रजी भारित न्यायतीर्थ व्यावर, श्री बा० विगलप्रसादजी जैन, देहली और श्री गुलाबचन्द्र जी जैन प्रा. मजिस्ट्रेट भेलमाका 'अनेकान्तमंचालक मण्डल की श्रोग्मे अत्यन्त अाभारी हूँ, श्राशा ममाजमवाके इस पुनीत यश में हमें अन्य बन्धुश्रीका भाइमा पकार मायांग प्राप्त होगा। -व्यवस्थापक मुद्रक, प्रकाशक पं.परमानन्दजी शासी वीरसंवामन्दिर सरसावाके लिये श्यामसुन्दरलाल श्रीवास्तव द्वारा श्रीवास्तव प्रेस महामपुरम मुहिता 24 समीनाशाब 1255-~-सम्पादक 22त्तानुयसन देवगम,आमा it 28 T HIET - % 22 महाधिपती २६ समन विशाल 20 पामचन्म 22 कोसma २९ महानीका ३. बालिमा Home /५८ . SARSAWA, (SAHARANPUR). VEER.SEWA MANDIR. If not delivered please return to: भायात
SR No.538006
Book TitleAnekant 1944 Book 06 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1944
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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