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________________ १७४ अनेकान्त [ वष ६ छोड़नेवाले युवक, जिनमें मिगहीगीरीकी हौस-आप और गिरफ्तार करके भी सार्वजनिक जीवन में लाने ने मुख्नार साहको युवकोंकी ओरसे ही श्रद्धांजलि के लायक। दी.. अपनी जगह बहुत खुक-सार्वजनिक जिम्मे ला. रघुवीर सिंह सर्गफ़, देउली दारियों के लायक। __ परिषदके मुखपत्र 'वीर' के प्रकाशक, यथाशक्ति मास्टर उग्रमैन जी, देइली सार्वजनिक काम करने में उत्सुक, सरल, सहदय, श्रद्धालु और सज्जन । ला. दीपचन्दजी, देहरादून 'गजा और 'जा' दोनों के प्रिग, दोनों के विश्वासपात्र, जैनके परमभक्त. जैन साहित्यके परिहत, सन्दर वक्ता, मरल ले ग्वक और नागरिक । लाला कृष्णा चन्द्र, देवगन प्रमुम्ब रईम और शम्बी व्यापारी,म्पल, महदय और उदार । मित्रों के लिये मजबूत अवलम्ब-समय पर काम आनंबाले, मामाजिक कार्यों में अनुरक्त और सवाक लिये प्रस्तृत ।। बा. माचीप्रमादजी देहरादून अपने नर ने प्रिय प्रानरेग मैजिष्ट्रेट, प्रतिष्ठित नागरिक. सरल हदय युवक, हिन्दी के परमभक्त और अत्यन्त सज्जन । गयसाध्य बा. श्यामलाली, रुड़की हमारे प्रान्तक अत्यन्त सफल एक्जीक्यूटिव आफीसर, प रषदके पुराने माथी- समाजसुधारप्रेमी, सुलझे मस्तिष्कके गम्भीर पुरुष, विश्वसनीय और काम, काम, काम, बस सोते जोते जागते जिसे श्रद्धालु। कामकी धुन । परिषदका रीक्षाबोर्ड, उनकी धुनका ला. बाबूलालजी, खतौली मन्दिर है और अब यह सौभाग्यकी बात है कि पबि अपने बुढ़ापेमें भी अत्यन्त उत्साही और समाज पदको उनकी गदिनकी सेवाएँ प्राप्त हैं। भाव सुधारमी, विद्वानों के भक्त, इस सम्मान ममारोहसे सरल, जो मिले, उस ही उलझाकर समाज काममें इतने प्रसन्न; जेसे उनके घरमें ही कोई त्योहार होरहा लगानेको उत्सुक । उम्र में बुजुर्ग, नाममें मा-हरजी, हो । शाखप्रेमी, सज्जन और सहदय।। पर हरेकसे काम की बात मीखने को तैयार ! ला. पन्नालालजी, देहली श्री महावीरप्रमाद जी, मरधा वीर-सेवा-मन्निरके मन्त्री और न साहित्य एवं बी० ए०, एल-एल० बी० होकर भी तर्कहीन- समाजके मूक सेवक, चुपचाप काम करनेवाल, ऐसा श्रद्धालु, सरल होकर भी व्यापारी और व्यापारी होकर काम जिसकी रिपोर्ट नहीं छपती और गिनती भी भी साहित्यिक-हिन्दीकी अनेक श्रेष्ठ कहानियोंके नहीं होती, पर जो समाजके जागरण में नींवकी ईट प्रणेता। अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सदैव सावधान बनकर रहता है।
SR No.538006
Book TitleAnekant 1944 Book 06 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1944
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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