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________________ अनेकान्त [ वर्ष ५ पंक्ति अशुद्ध पाठ शुद्ध पाठ पंकि अशुद्ध पाट शुद्धपाठ १६ कष्ठा काश १६ विस्मृत्य विस्मित्य १६ चित्ताचित्त चित्ताच्चित्त हाट २६३ २० धातवः बुद्धयः १० लेग्वति लेखपति पृष्ठ २५८ १४ राश्रावि राश्रावित ३ यथाग्नेस्तामे- यथाऽग्नः स्तामे १५ नवलनाम्या नवल्भनाभ्या १३ त्रयं समाश्रित्य त्रयमिहाश्रित्य १७ पापोपयागाभ्या पापोपयोगाभ्या १५ करणम। अमंजानतदर्थ कारणाम । अमंजातसदर्थ १७ पितामही पिता पितामही २२ दृरागम दुरागम १- म्वयंनिहित स्वयं निहत पृष्ठ २५६ २४ विलयति विदलति १ किंचिदुष्कृत किं स्विद् दुप्कृत २६ अत उर्व अध उचं १ भगवन भगवान ६ प्रयुक्त प्रमुक्त • तुलां तु तव तुलान्तवत् है अचिरममा नभ अचिग्ममामन्न ५ मामृग्धारव मामृग्वरेव १४ निवेदौ तहत परि निर्वदोद्धतपरि ८ नादात्विकापवापः तादात्विकावापः १७ दकर्माण दलंकर्माण पद्रवत्सु पद्रवत्सु महत्सु २५ वनितामु गर्भ वनिता सुगर्भ २३ शीतलानलो शीतलानिलो पृष्ठ २६० २३ चन्दनम्पन्दो चन्दनम्यन्दो २ मकारादिपत्रयम्य मकारादित्रयस्य १० यथायथाप्रसिद्धि यथाप्रसिद्धि पृष्ठ ०६५ १०-११ नरान्मुग्यात्तथैवा- नगन मुख्यान् तथैवा- 3-४ तङ्कमर्मणश्च तङ्ककर्मणश्च न्वतिष्ठत न्वतिष्ठिपन १० भवेदत्मवः भवेऽनुत्मवः १४ नामनि नामनी । ११-१२ प्रवृत्त रन्यत्रा प्रवृत्त वृत्तरन्यत्रा २१ मतिं भर्तृ मति राजपुत्री भर्नु १. विहितमममा विहितमा २२ दंशैर दंशर १५ वत्रागती वत्रागता समागतो च २४ वलित चलित १५ मभान्तराम मभान्तरम २६ मुनेरमस्य १८ शाल्यित शल्यिन पृष्ठ २६१ २३ दिग्धमूढ दिद मृढ ६ मुकुरुन्दी मकुरुन्दी २३ बान्धवलोक बान्धव लोक १३ निष्टविचेष्टिनम निष्ट विचेष्टनम २३-४ श्रय, श्रीमाधव खली श्रयश्रीमाधव, खली २२ नीयेत वमति नीयताऽचमति २४ मारमुनि मार मुनि २७ वन्दामहे वन्दावहे : ५ देवादवातालोकनेन देवातावलोकनेन पृष्ठ २६२ म्यन्द २७ स्पन्द - वीरवैरि वीर वैरि २७ सव्यस्य भव्यम्य ८-६ नेन्दुफान्त निप्पन्द मिन्दुकान्तनिष्यन्द १७ वृत्तान्तानि वृत्तीनि १८ तामनर्घाम तामनाम पृष्ठ०६६
SR No.538005
Book TitleAnekant 1943 Book 05 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1943
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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