________________
Registered No. A-731.
वीर-शासन-जयन्ती
अर्थात् श्रावण-कृष्ण-प्रतिपदाकी पुण्य-तिथि । यह तिथि इतिहासमें अपना खास महत्व रखती है और एक ऐसे 'सर्वोदय' तीर्थकी जन्मतिथि है, जिसका लक्ष्य ' सर्वप्राणहित' है।
र अहिंसाके अवतार श्री सन्मति-वर्द्धमान महावीर आदि नामोंसे नामाडित वीर भगवानका तीर्थ प्रवर्तित हुश्रा, उनका शासन शुरू हुआ, उनकी दिव्यध्वनि वाणी पहलेपहल खिरी, जिसके द्वारा सब राजीवोंको उनके हितका वह सन्देश सुनाया गया जिसने उन्हें दुःखोंसे छूटनेका मार्ग बताया, दुःखकी कारणीभूत
भूलें सुझाई, वहमोंको दूर किया, यह स्पष्ट करके बतलाया कि सच्चा सुख अहिंसा ओर अनेकान्तदृष्टिको अपनाने में है, समताको अपने जीवनका अङ्ग बनाने में है, अथवा बन्धनसे-परतन्त्रतासे-विभावपरिणतिसे टनेमें है। साथ ही, सब यात्मायोको समान बतलाते हुए, आत्मविकासका सीधा तथा सरल उपाय सुझाया
और यह स्पष्ट घोषित किया कि अपना उत्थान और पतन अपने हाथमें है, उसके लिये नितान्त दूसरों पर स माधार रखना, सर्वथा परावलम्बी होना अथवा दूसरोंका दोष देना भारी भूल है।
इपी दिन--पीड़ित, पतित और मागेच्युत जनताको यह आश्वासन मिला कि उसका उद्धार हो सकता है। Rs पद पुण्य-दिवस-- उन कर बलिदानों के सातिशय रोकका दिवस है जिनके द्वारा जोवित प्राणी निर्दयतापूर्वक छुरीके घाट उतारे जाते थे अथवा होमके बहाने जलती हुई आगमें फेंक दिये जाते थे।
इसी दिन-- लोगोंका उनके अत्याचारोंकी यथार्थ परिभाषा समझाई गई और हिंसा-अहिंसा तथा धर्म अधर्मका तत्व पूर्णरूपसे बतलाया गया।
मी मिनी-- स्त्रीजाति तथा शूद्रों पर होनेवाले तत्कालीन अत्याचारों में भारी रुकावट पैदा हुई और वे सभी जन यथेष्ट रूपसे विद्या पढ़ने तथा धर्मसाधन करने आदिके अधिकारी ठहराये गये।
Tirit.in भारतवर्ष में पहले वर्षका प्रारम्भ हुआ करता था, जिसका पता हालमें उपलब्ध हुए कुछ अतिप्राचीन ग्रंथलग्योम-तिलोयपएणत्ती' तथा 'धवल' आदि सिद्धान्तग्रंथों परसे-चला है । सावनीभाषाढ़ीक विभागरूप फसली साल भी उसी प्राचीन प्रथाका सूचक जान पड़ता है, जिसकी संख्या आजकल गलत प्रचलित हो रही है।
इस तरह यह तिथि-.जिस दिन वीरशासनकी जयन्ती (ध्वजा ) लोकशिखर पर फहराई, संसारके हित तथा सर्वसाधारण के उत्थान और कल्याण के साथ अपना सीधा एवं खास सम्बंध रखती है और इसलिये सभोके धारा उत्सबके साथ मनाये जाने के योग्य है । इसीलिये इसकी यादगारमे कई वर्षसे वीरसेवामन्दिर सरसावा में 'वीरशासनजयन्ती के मनानेका आयोजन किया जाता है। अन्य स्थानों पर भी किया जारहा है।
इस वर्ष- यह पावन तिथि २८ जुलाई सन १६४२ को मंगलवारके दिन अवतरित हुई है । इस दिन on पिछले वर्षोंस भी अधिक उत्साह के साथ बीरसंवामन्दिरम वीरशासनजयन्ती मनाई जायगी और जलसा २६ सर ता० तक रहेगा । अन्य स्थानोके भाईयोंको भी इस सर्वातिशायी पावन पर्वको मनानेके लिये अभीसे सावधान - होजाना चाहिये और अपने स्थानोंपर उसे मनानेका पूर्ण आयोजन करके कर्तव्यका पालन करना चाहिये।
निवेदकजुगलकिशोर मुख्तार अधिष्ठाता 'बीरसेवामन्दिर' सरसावा, जि. सहारनपुर
DarindiansamacmaraSecvecasecsICSSARSANSARAMETHeroyengeroveragerageRAPARTMrajaogengargarera