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REGISTERED NO.A-731.
वीरसेवामन्दिर सरसावामें
ग्रन्थ-प्रकाशन और दिगम्बर जैनग्रंथांकी मृचीके
___ दो महान् कार्य
(१)ग्रन्थ-प्रकाशन वर्षायामन्दिम्म पगतान-बाय-मूची पोर जैन लक्षणावनी लक्षणामक जैन-पारिभाषिक कदकोष अादि कई महान ग्रन्याका जो निर्माण कार्य हो रहा है उसका प्रकाशन अब शीघ्र ही प्रारम्भ होने वाला है। प्रकाशनक लिय धनकी योजना हो गई। नलगावलीका निर्माण कोई... दिगम्बर और २०० अंताम्बर प्रन्यांपरम हुया है। इसका प्रकाशन नार-पांच बर बर म्याट्री में होगा। परन इसमे हिन्दी लगानका विचार नहीं शा; परन्तु अब कई मित्रांक अनुरोध परामर्शम हिन्दीमलसमाका मार अपना अनवाद भी पाथमे लगाया जा रहा है। और इसमें यह कोष ग्रन्थ ममी शाम्या यामियों गचं नियायिका ममम मालीक लिय बही काम की नीज होगा। कोट भी लायबंग पम्नकालय विगालय, वाचनालय, न गोर नन्दिरमा नही होगा तिम्पको इसकी जानन हाक म्याश्याय-प्रेमीको मप्रपन पाम पमना गाकको भीम अपना नाम। जिस्टर करा लना चाहिय तिमय प्रकाशित
पनामा न. पा
. मग्न्य धारा मनन बादको दी जाय।
पगतन-मन-नाक्य मुनीका पहला नागा भाषा का प्रयोक यानीगाकाको लिकम पहले प्रेमी जाने वाला है। यह अंधमिकायाम करने वाले निगाधियों का प्रार्ग अंधापरकी भोर उन मायायप्रेमियों के लिये भी कामका भी होगा जो किमी शाम आदि काम श्राण हान वाक्यांक विषय में यह जानना नाहनेही किनेकोनम अन्य अथवा पन्धाक वाक्य है। इस प्रगती कापिया बहन श्रीना जायगा, गन प्राय नमजनम प्राप्त का मग जी पालम अपना नाम दर्गमग लेंग!
दो और अपच भागननादानिक मागा होमिन नामादिक मनना बादको दी आगा। (दि.जैनग्रन्थम्ची-पक मिनाय. नाम्मामन्दिा लामन जयन्ती मनाम हुए . अम्मायके अनमा दिगम्बर नग्रंधांकी एक पूर्ण मुनी नश्यार कानका भार अपने ऊपर ले लिया। यह काम संजीय प्रारम्भ भी होगया. अनेक धानीक शास्त्रभरा दागकी मुनिया भारही है। पान यह काम बहुन बरा. घोर हम सभी स्थानोंक विद्वानों नधा गाभगगक यक्षा प्रबन्धकांक सहयोगको जम्न। प्राशा इस पण्य कायम सभी वीम्मेवामन्दिरका हाथ बटाग और मेगा ही अभिलषित मुनी नरयार करके प्रकाशित करनेका शुम अत्रमा प्रदान करेंगे। इस मनीयं परमं महज हम यह मालूम हो मगा कि हमार पाम माहिग्य की कितनी पंजी है, दिगमा माहिस्थ किनमा विशाल है और वह कहाँ कहा बिवरा पदा। साथ ही बढ़तीको नय नये ग्रंथोंको पढने, निवाकर मंगाने तथा प्रचार करने की प्रेरणा भी मिलेगी, और यह मबक प्रकार जिनवाणीमानाकी सची संवाहोगी। अमः जिम जिम म्थान मजनाने अभी तक अपने यहांक शाखभगहारका मुनी नहीं भेजी है उन्हें शीघ्र ही नाचक पतं पर उसके भनेका पग यान करना चाहिये । जहां अछे रबर भाटार है वहांक श्रीमानोंका या दाम कम्य है कि वो निगानीको लगाकर शीघ्र ही व्यवस्थित मुनी मय्यार करा | मुचाम भराडारक नामक मानीच लिम्बदम कोष्टकोन नाहिये. ओर जो कोष्टक प्रयत्न करनेपर भी भर न जा सके उन्हें बिन्दु लगाकर ग्वाली छोड़ दना चाहिय...
। नम्बर • ग्रंध-नाम, ३ ग्रंथकार नाम, भाषा, विषय. नाकाल. लोकमंग्या. पत्रमाव्या. लिपि संबन... कैफियन प्रतिको जाग्गादि पवम्या नशा पूर्ण - भागकी मुचनाको लिये हुए।
जुगलकिशोर मुल्तार अधिना धीरसंबामन्दिा' पा० सम्मावा (जि. महारनपुर)
मुद्रक, प्रकाशक पं. परमानंद शासी वीरसेवामन्दिर, सरसावा के लिये श्यामसुन्दरलाल श्रीवास्तवहारा श्रीवास्तव प्रेत सहारनपुर में मुद्रिन