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________________ - -- -- -- - - -- -- श्रीमन्न सेट शितावराय लक्ष्मीचन्द जैन माहित्य उद्धारक फंड द्वारा श्री पट खण्डागम (धवलमिहान्त) तीमग भाग 'द्रव्यप्रमाणानुगम भी छप कर तैयार हो गया है। पूर्व पद्धनि अनुमार शुद्ध मूलपाठ, सम्पष्ट हिंदी अनुवाद नथा अनेक उपयोगी परि शिष्टां के अतिरिक्त मुडविद्रीकी नाहपत्रीय प्रतियों में प्रकाशित तानों भागोंका मिलान श्री पाठभेद सुन्यवस्थित करके इस भाग में छपाय गय है। एक एक गुगाम्थान व मार्गग्गास्थान PA कितने जोव हैं. इसका विवेचन करना पम्तुन ग्रन्थभाग का विषय है। इम विषय पर लगभग ३०० शकाएं उठाकर उनका समाधान किया गया है। प्राचीन गणितशास्त्रका यहां द्वितीय निरूपण किया गया है, जिस चंई बंड गांगातना की सहायता से बीजगगन, अकगणित व क्षत्रांगन क २८, उदाहरण देकर ममझाया गया है। विषय के मम का उद्घाटन करने वाले ५० विशपाथ लिम्ब गये हैं और ३... म उपर टिप्पणिया लगाई गई है। प्रस्तावना में मृडविद्री कमिदान्तग्रन्थों, मन्दिग, भट्रारका व ट्रस्टियो क चित्र, उनका परिचय, इतिहास तथा महाधवल के विषयका खब परिचय कगया गया है. और मंहटियां क नकश आदि देकर द्रव्यप्रमाण के गहन विपय का वृज सुबोध बनाया गया है। ग्रन्थ का प्रग महत्व उसके भव लोकन करने से ही जाना जा मकगा। ___ महावार भगवान का जन्म जयन्नी पर उन्ही क परम्पगगन वचनो का म्वाध्याय कर अपन जीवन को मफल काजिय। tamananews TVVVVXMARVARNIRMARVASNAIN2V7:02:2V2:22,02:V2,823;V2::02:V2:2SV2WARV2:25:2V2V2:VasWrVIVASV2SVVVVWORVASVISVISVASVIVisesya पुस्तकाकार १०) शाम्बाकार १२) (१) पथम दा माग भी पुम्नकाकार प्रत्यक १०) व शात्राकार प्रथम भाग १५) व द्वितीय भाग १२) में मिल सकेगा। प्रथम भाग शात्राकार की बहन थाना प्रतिया शंप रही है। अन आगे के दोनों भाग माथ लन वालो को ही नह भाग मिल सकेगा। (२) पेशगी मूल्य भंजन से डाक वल्वे व्यय नहीं लगेगा। () अपना पृग पता, अभीष्ट ग्रन्थ भाग नथा अपने यहां के पोस्ट ऑफिस व रल्वे स्टेशन का नाम मनीआर्डर कृपन पर भी नीचे के भाग में कार स्पष्ट लिम्विय । प्रार्थना_इम संस्था के हाथ में द्रव्य बहुत थोडा और काय बहुत ही विशाल है,। अताव समस्त श्रीमाना. विद्वाना और सस्थाओं को उचित मूल्य पर। नियां खरीद कर कार्य की प्रर्गात को सुलभ बनाना चाहिये। मचना--चतुर्थ भाग छपना प्रारम्भ हा गया है। मत्रा न माहिन्य उदाग्न फ ग -- कान समवना बार। -mare - - - しないポインベストメアロントボストンベストメールがあるからなくないでいたくないなべぶぶぶぶぶぶんくらぶのイベントは
SR No.538004
Book TitleAnekant 1942 Book 04 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1942
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size73 MB
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