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________________ n अनेकान्त गद्दी पट्टधर श्री पूण्य धरणीन्द्रसूरिजी के पास है, इसी प्रकार खरतरगच्छ की अन्यान्य शाखाओंके दफतर उनके श्रीपूयों व भंडारों में मिलेंगें। बीकानेर गद्दीके श्री पूज्य जिनचरित्रसूरिजी के पासका दकतर हमने देखा है । अन्य श्रीपूज्यों में से कइयोंने तो दफतर म्बो दिये हैं, कई एक दिखलाते नहीं। इन दक़तरों में दीक्षित मुनि-यतियोंकी नामावली इस प्रकार लिखी मिलती है: “संवत् १७७६ वर्षे श्री बीकानेर मध्ये श्री जिनसुखसूरिभिः वल्लभनंदि कृता । पौष सुदि ५ दिन " (पूर्वावस्थानाम ) ( दीक्षितनाम) लक्ष्मीचन्द ललित वल्लभ रूपचन्द राजवल्लभ अतः इससे हमें उन श्रीपूज्योंके श्राज्ञानुवर्ती प्रत्येक मुनि-यतिकं दीक्षासंवत्, स्थान, दीक्षा देन वाले आचार्यका नाम, गुरुका नाम, पूर्वावस्था व दीक्षितावस्था के नामोंका पता चल सकता है। अतएव ऐसे दफ़तरों की नकलें यदि इतिहासकारों के पास हो तो उनकी बहुतसी दिक्कतें कम हो जाँय, समय एवं परिश्रमकी बचत हो सकती है, एवं बहुमूल्य इतिहास लिखा जासकता है । (गुरुनाम ) पं० लीला श्री राजमागर [ वर्ष ४ नंदि या नामान्त पद सम्बन्धी जिन जिन खरसरगच्छीय विशेष बातोंका ऊपर उल्लेख किया गया है, वे सब खरतरगच्छीय जिनभद्रसूरि बृहत् शाखा के दृष्टिकोण से लिखी गई हैं, संभव है स्तरकी अन्य शाखा में परिपाटी की कुछ भिन्नता भी हो। वर्तमान उपयुक्त परिपाटी केवल यतिसमाज में ही है और दफतर लेखनकी प्रणाली तो अब उनमें भी उठती जारही है। मुनियां में तो करीब १०० वर्षों से उपर्युक्त प्रणालियें व्यवहृत नहीं होती । अब मुनियों नाभान्तपद "सागर" सर्वाधिक और मोहन मुनिजी के संघाड़े में "मुनि" और साध्वियोंमे "श्री" नामान्त पद ही रूढ़ सा हो गया है। गुरुशिष्यका नाम भी एक ही नामान्तपद वाला होता है। इससे कई नाम सार्थक एवं सुन्दर नहीं होते। मेरी नम्र सम्मतिमं प्रार्चन परम्पराका फिरसे उपयोग करना चाहिये | ऊपर जो कुछ बातें कही गई हैं वे खरतरगच्छ के दृष्टिकोण से हैं। इसी प्रकार अन्य विद्वानोंको अन्य गोकी नामान्तपद सम्बन्धी विशेष परिपाटियां का अनुसन्धान कर उन्हें प्रगट करना चाहिये। आशा है अन्यगच्छीय विद्वान इस ओर शीघ्र ध्यान देगें ।
SR No.538004
Book TitleAnekant 1942 Book 04 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1942
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size73 MB
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