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विषय-सूची
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विपय
लेखक १ जिन-प्रतिमा-वन्दन-[सम्पादकीय २ जैनी नीति ( कविता )-[पं० पन्नालाल जैन, साहित्याचार्य ३ प्रभाचंद्रका ममय-[ न्यायाचार्य पं० महेन्द्रकुमार जैन, ४ कवि राजमल्लका पिंगल और राजा भारमल्ल-[सम्पादक य ५ अनकान्त पर लोकमत६ समन्तभद्र-विचारमाला (२) वीतरागकी पूजा क्यों ?-[ सम्पादकीय ७ कर्मबंध और माक्ष-[पं० परमानन्द जैन, शास्त्री ८ दुनिया का मेला ( कविता )-[पं० काशीगम शर्मा 'प्रफुलित' । ९ जैन मुनियों के नामान्त पद-[ अगरचंद नाहटा, १० बाबा मनकी आंखें खाल (कहानी)-[ श्री 'भगवत्' जैन ११ समन्तभद्र का मुनिजीवन और आपत्काल-[ सम्पादकीय १२ विचारपुष्पांद्यान १३ पुण्य-पाप ( कविता ) १४ हल्दी घाटी ( कविता )-[ श्री भगवत' जैन १५ विवाह कब किया जाय? -[ श्री लालनाकुमारी पाटणी १६ 'मुनिसुव्रतकाव्यकं कुछ मनोहर पद्य-[पं० सुमंग्चंद्र जैन, दिवाकर १७ शैतानकी गुफामें माधु (कहानी)-[अनु० डा० भैय्यालाल जैन ... १८ संयमीका दिन और गत-[ श्री विद्यार्थी'
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की सामग्री जुटाना तथा उसमें प्रकाशित होने के लिये उप
योगी चित्रांकी योजना करना और कगना । (१)२५), ५०), १००) या इमम अधिक रम देकर सहायकोंकी चार श्रेणियों में से कि.मीमें अपना नाम लिखाना ।
___ सम्पादक 'अनकान्त' (२) अपनी पोरमे अममर्थोको तथा अजैन संस्थानों
अनेकान्तके नियम को अनेकान्त झी (बिना मृल्य ) या अर्धमृल्यमें भित्रवाना १--इम पत्रका मृल्य वार्षिक ३), छड माझ्या २)
और इस तरह दूसरोको अनेकान्तके पढ़ने की सविशेष प्रेरणा पेशगी है-बी. पी. से मंगाने पर वी. पी. खर्च के चार याने करना । ( इस मद में सहायता देने वालांकी अोरमे प्रत्येक अधिक होगे । मालारण एक किरणका मूल्य |-) और दम रूपथेकी महायताके पीछे अनेकान्त चारको फ्री अथवा विशेषाङ्कका ) है। अाठको अर्धमृल्यमें भेजा जा सकेगा।
२--ग्राहक प्रथम किरण और सातवीं किरणमे बनाये (३) उत्मव-विवाहादि दानके अवसरों पर अनेरान्तका जाने हैं-मध्यकी किरगामे नहीं । जो बीच में पाक नंगे बराबर खयाल रखना और उसे अच्छी सहायता भेजना उन्हे पिछली किरग भी लेनी होगी। तथा भिजवाना, निममे बनेकान्त अपने अच्छे विशेषाङ्क 'अनेकान्त' के विज्ञापन-रेट निकाल सके, उपहार ग्रन्यांकी योजना कर सके और उत्तम
वर्ष भरका छह मामका एक बारका लेखो पर परस्कार भी दे सके । स्वत: अपनी अोर में उपहार पर पेजका ग्रन्थोकी योजना भी इम मद में शामिल होगी।
अाधे पेजका (४) अनेकान्त के ग्राहक बनना, दमरोको बनाना और चौथाई पेजका अनेकान्तके लिये अच्छे अच्छे लेग्य लिखकर भेजना, लेखो
व्यवस्थापक 'अनकान्त'
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