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________________ वर्ष ३, वि .] श्रीपाब-चरित्र-साहित्य सम्बन्ध में शेष ज्ञातव्य आगराके न० १५३८में ५६ पत्रों की हमारे अव- पति मैंने कलकत्तेके दि० बड़े मंदिरमें देखी है । लोकनमें आई है। कर्त्ताने अपना नाम स्पष्ट नहीं सूचित कर कहीं २. श्रीपालरासः-गुणसुन्दर (उपरोन शानमदिर में ३ "सुखकर्न' अन्तके छन्दमें "अतिसुख" इस प्रकार प्रतिये नं० ३५८५.८६.८७ पत्र १४, १५, १०) दिया है अतः नाम सुखकरन या सदासुख होनेकी ३. श्रीपालः-गुजराती (गद्य ) में जैन श्राफिमस संभावना है। अपने परिचयमें कविने इतना ही प्रकाशित कहा है कि "वे पहले पाढिम नगरके निवासी थे ४. श्रीगल:-(संक्षिस) धीर जलाल टी० लि. ज्योति फिर सकूराबादमे रहने लगे थे।" कार्यालयले प्र. कनड भाषा दिगम्बर ६. श्रीपालचरित्र-मंगरमइय रचित सं० १५०८ १. श्रीपालचरित्र-(सं०), पं० जगन्नाथ कृत० उ० ७. , देवरस , (सं०१७०० लगभग) पं० कैलाशचन्द्र जीको प्राप्त प्राचीन सूचियोंमें ८. , वर्द्धमान ,, (सं०१६५० ,) २. श्रीपालचरित्र-भापावचनिका, अमीचद कृत. जय ६. , तृतीयगंगरम पुर दि० भंडार इन्द्रदेवकृत भी माना जाता हैं। ३ श्रीपालचरित्र-भाषावनिका, विनोदीलाल जयपुर तामिल माहित्यमें भी मम्भव है श्रीपालचरित्र हो दि० भंडार पर प्रो० चक्रवर्तीको रिप्लाइ कार्ड देने पर कोई सूचना ४. श्रीपालचरित्र-भाषावचनिका, मू० सकलकीर्ति नहीं मिली। इनमसे नं. १ कैलाशचन्द्रजी नं० २,३, रचित पर जयपुर दि० भडार कर्ता अज्ञात. ४ की मास्टर मोतीलाल जी रघवी, जयपुर, नं०६ से ५. श्रीगलचरित्र-(हिन्दी पद्यमय) मदासुख (?) कृन० १० की प० भुजबलिनी शास्त्रीसे सूचना मिली है एतदर्थ (रचनाकाल स० १८५७ आषाढकृष्णा : रवि. मैं उनको धन्यावाद देता हूँ । अन्य विद्वान भी इसी संधि ६ छंद २२६४) इसकी १०४ पत्रेकी एक प्रकार विशेष ज्ञातव्य प्रकट करें यही नम्र विज्ञप्ति है ।
SR No.538003
Book TitleAnekant 1940 Book 03 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1940
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size80 MB
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