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________________ विषय और लेखक, . पृष्ठ विषय और लेखक पृष्ठ ' तस्वार्थाधिगमसत्रकी एक सटियण प्रति प्रो. जगदीशचन्द्र और उनकी समीचा [ सम्पादक : --[सम्पादक ..१ १२१ । ६६६, ७२९ तामिल भाषाका जैनसाहित्य --[प्रा. ए. चक्रवर्ती कलसे ( कविता ) [ीघासीराम जैन किन्द टार . एम. ए. 1 . ४८७,५६७,७२१ : रटे चलो--[बा० माईदयाल जैन बी.ए. ३१५ दर्शनोंकी आस्तिकता और नास्तिकताका अाधार . बंगीय विद्वानोंकी जैन माहित्य में प्रगति-[श्रीअगरचंद .--[पं: ताराचन्द. जैन दर्शनशास्त्र। ३५२ . . . नाहटा १४६ दर्शनोंकी स्थलरूपरेखा--[ पं. ताराचंद जैन ८२ सावलीघास--[ श्री हरिशंकर शर्मा दीपक के प्रति (कविता)--श्री.रामकुमार स्नातक'५७२ बुरि हत्याका कारखाना--[ 'गृहस्थ' से उद्धृत १६४ देवनन्दि-पज्याद-स्मरण - [सम्पादक ५५७ बौदतथा जैनग्रंथों में दीक्षा[प्रो० जगदीशचंद्रएम.ए.१४३ द्रव्यमन -५० इन्द्र चंद्र शास्त्री ... २५० । भगवान महावीर और उनका उपदेश-- धर्मका मूल दुःग्न में छुग है-[ श्री. जयभगवान . .. [श्री बा० सरजभान जी वकील ३६६ वकील ... ... ८२, भगवान महावीर के शासन में गोत्रकर्म--- धर्म बहुत दुर्लभ है --[ श्री. जयभगवान वकील ५.५ . [श्री कामताप्रसाद २८ धर्माचरणमें सुधार - [ श्री बा. सूरजभान यकील ३८५ / भारतीय दर्शनोंमें जैन दर्शनका स्थान- श्री हरिमत्य धवलादिश्रत परिचय-[सम्पादक ... ३,२०७ । । भट्टाचार्य ४६७ नर-कंकाल ( कविता ) [ श्री भगवत् जैन ४७ भल स्वीकार- [श्रो सन्तराम बी. ए..... ५३५ नवयुवकोंको स्वामी विवेकानन्द के उपदेश . . मजदूरसि राजनीतिज्ञ---[ श्री माईदयाल बी. ए. ८० . . [डा. बी. एल. जैन पी. एच. डी. ५६६ मनुष्य जातिके महान् उद्धारक नपतुंगका मतविचार [श्री एम. गोविन्द पै ५७८,६४५ - --[श्री. बी. पल, सर्गफ ३२५ परम उपास्य (कविता ) [ श्री 'युगवीर' कि०१ टा०३ । मनुष्योंमें ऊँचना-नीचता क्यों ?--[श्री वंशीधर परमाणु ( कविता ) [पं० चैनसुखदाम, ४४० व्याकरणाचार्य ५१ परवार जाति के इतिहाम पर कुछ.प्रकाश, . महावीर-गीत ( कविता) -[श्री शान्तिस्वरूप ; . [पं० नाथराम प्रेमी ४४१ । जैन 'कुसुम' ३८६ परिग्रहरिमागा बनके दामी दाम, गुलाम थे मातृत्व ( कहानी)-[ श्री भगवत्' जैन... २ । [६० नाथ राम प्रेमी ५२६ - मानवधम ( कविता ) [ श्री 'युगवार'... १०१ पंडितप्रवर श्राशावर[पं०नाथगमती प्रेमी ६६६,६६७ मीन संवाद ( कविता )--[श्री 'युगवार'...' पात्रकेमरी स्मरण मम्पादक . ... : . ८१ मंडक के विषय में एक शंका -[श्रीदौलतराममित्र ७१८ पुरुषार्थ ( कविता ) [ भी मैथिलीशरण गुप्त २०६ मनसुख -[श्रीमद् राजचन्द्र १०७ प्रथम स्वहित और बाद में परहिल क्यों ? - बांत-ममाज-[ श्री अमरचन्द नाहटा ४६८ श्री दौलतराम 'मित्र' ६६० यापनीय माहित्यको खोन [श्री नाथगम प्रेमी ५६ प्रभाचन्द्र का तस्वार्थसत्र [मम्पादक ३६३,४३३ गग---[ श्रीमद् गनचन्द्रं...... प्रभाचन्द्र-स्मरण [ मम्पादक ... ३१७ वास्तविक-महत्ता [ श्रीमद् गजचन्द्र ... २३६ प्रश्न ( कविता ) [श्री 'रत्नेश' विशारद १० । विद्यानन्दकृत मत्यशामनपरीक्षा माकन पंचसंग्रहका रचनाकाल पं. मद्रकुमार जी शास्त्री ६६० [प्रो० हीरालाल जैन एम. ए. VRE विद्या स्मरण | मम्पादक
SR No.538003
Book TitleAnekant 1940 Book 03 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1940
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size80 MB
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