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________________ H INAROKAR SEASES HEACHER 93GRESSES Satya Regd. No... - वीरसेवामन्दिर ग्रन्थमाला - यह अन्थमाला किसी निजी लाभ अथवा व्यापारिक दृष्टि से नहीं निकाली जा रही है । इसका ध्येय और उद्देश्य उन महत्वके उपयोगी प्रन्थोंको अच्छे ढंगसे प्रकाशमें लाना है जिनका निर्माण तथा सम्पादन वीरसेवामन्दिरमें या उसकी मार्फत बहु परिश्रमके साथ हो रहा है और होने वाला है। लोकहितमें सहायक अच्छे गौरव-पूर्ण ठोस साहित्यको प्रचार देना और महत्वके लुप्तप्राय जैनसाहित्यका ल उद्धार करना इस ग्रन्थमालाका पहला कर्तव्य है, और इसलिये इसमें संस्कृत-प्राकृत-हिन्दीके मूल तथा 0 * भाषाटीकादि सहित सभी प्रकारके ग्रन्थ प्रकाशित हो सकेंगे। - ग्रन्थोंका मूल्य जहाँतक भी हो सकेगा कम रखनेका प्रयत्न किया जावेगा और उसका अधिकतर आधार परोपकारी सज्जनोंकी सहायता पर ही निर्भर होगा। जो सज्जन जिस ग्रन्थके लिये कुछ सहा- यता प्रदान करेंगे उनकै शुभ नाम उस ग्रन्थमें धन्यवाद सहित प्रकाशित किये जायेंगे । जो महानुभाव ५२०) रु० या इससे अधिककी एक मुश्त सहायता देंगे उनके शुभ नाम प्रत्येक ग्रन्थमें-ग्रन्थमालाके ) र स्थायी सहायकोंकी सूची में बराबर प्रकट होते रहेंगे और उन्हें ग्रंथमालाका प्रत्येक ग्रन्थ बिना मूल्य, भेंट किया जायगा । और जो उदार महानुभाव पाँच हजार या इससे अधिककी सहायता प्रदान करेंगी वे इस ग्रंथमाला तथा वीरसेवामन्दिरके 'संरक्षक' समझे जावेंगे, उन्हें प्रत्येक ग्रन्थकी १० कापियाँ बिना मूल्य भेंट की जायेंगी और उनका चित्र प्रत्येक ग्रंथके साथमें रहेगा। मन्थमालाका प्रथम ग्रंथ 'समाधितन्त्र' संस्कृत और हिन्दी टोकासहित छपकर तय्यार हो चुका है। उसकी अधिकांश कापियाँ अनेकान्तके उन ग्राहकोंको भेंट की जायेंगी जो अगले सालका मूल्य, जो कि और अधिक पृष्ठ संख्या बढ़ाए जानेके कारण ३) रु० होगा, उपहारी पोष्टेज।) सहित मनीआर्डर आदिसे पेशगी भेज देवेंगे। इस ग्रंथमालामें प्रकाशित होने वाले कुछ ग्रंथोंके नामादिक इस प्रकार हैं:EBAR. जैन लक्षणावली-प्रायः २०० दिगम्बर और २०० श्वेताम्बर ग्रंथों परसे संग्रहीत पदार्थों के PE लक्षण स्वरूपादिका अभूतपूर्व और महान संग्रह । यह ग्रंथ बड़े साइज़के कई खण्डोंमें प्रकाशित होगा। २. पुरातन जैनवाक्य सूची-प्राकृत और संस्कृत के भेदसे दो विभागोंमें। ३. धवलादि श्रृंतपरिचय (मूल सूत्रादि-सहित)-इसमें श्रीधवल और जयधवल ग्रंथका विस्तृत का परिचय रहेगा और यह भी कई खण्डोंमें प्रकाशित होगा। १४. समीचीन धर्मशास्त्र-हिन्दी भाष्य-सहित। ५. मृत्यु-विज्ञान-मृत्युको पहिलेसे मालूम कर लेनेके उपायोंको बतलाने वाला प्राकृत भाषाका प्राचीन अलभ्य ग्रंथ (नई हिन्दी टीका सहित) ६. आय-ज्ञानतिलक यह प्रश्नशास्त्र और निमित्तशास्त्रका पुराना प्राकृत भाषाका ग्रंथ है और संस्कृत तथा नई हिन्दी टीकाके साथ प्रकट होगा। ७. ऐतिहासिक जैन व्यक्तिकोश-इसमें भ० महावीरके समयसे लेकर प्रायः अब तक के उन सभी तिहासिक व्यक्तियों -मुनियों, प्राचार्यो, भट्टारकों, विद्वानों, राजाओं, मंत्रियों और दूसरे जिनशासन है आदिका वह परिचय संक्षेपमें रहेगा जो अनेक ग्रंथों, प्रशस्तियों, शिलालेखों और ताम्रपत्रादिमें 3 आ पड़ा है। यह भी कई खण्डों में प्रकाशित होगा। सरसावा जि० सहारनपुर १ RAINSAAMRAPS Sindhya 8 SOOR या FREE एक अधिष्ठाता वीरसेवामन्दिर) नेमचन्द जैन ऑडीटरके प्रबन्धसे बीर प्रेस गॉफ इपिया कमांड सर्कसम्म वैली में कपा
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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