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१. समन्तभद्र-प्रणयन २. दक्षिणके तीर्थ क्षेत्र-[श्री० ५० नाथूरामजी प्रेमी ३. सुभाषित-[श्री० तिरुवल्लुकर ४. श्रुतज्ञानका आधार-[श्री. पं० इन्द्रचन्द्र जैन शास्त्री ५. प्रकृतिका सन्देश-[ नीतिविज्ञान से ६. ज्ञान-किरण (कहानी)-[श्री० 'भगवत्' जैन ७. सुख-दुख-श्री० लज्जावती जैन ८. हमारा जैन-धर्म ( कविता )-[श्री० पं० सूरजचन्द गंगी ९. श्रीपूज्यपाद और उनकी रचनाएँ-[सम्पादकीय १०. चहक ( कविता )-[श्री० 'भगवत' जैन ११. भाग्य और पुरुषार्थ-[श्री० बाबू सूरजभानु वकील १२. सेठ सुगनचन्द-[अयोध्याप्रमाद गोयलीय १३. इतिहास ( कविता )-[देशदूतसे १४. कथा कहानी-[अयोध्याप्रसाद गोयलीय १५. वीर जयन्तीपर भाषण-[श्री० लोकनायक अणे एम. एल. ए. ... १६. , , , [श्री. गोविंददासजी एम.एल.ए. १७. ,, ,, , [सेठ बैजनाथ बाजोरिया एम. एल. ए. १८. ज्ञान पर लीबिनिज-[श्री० नारायणप्रसाद जैन बी. एस. सी. ... १९. हेमचन्द्राचार्य और जैनज्ञानमन्दिर-[मम्पादकीय २० मेरी अभिलाषा (कविता)-[श्री रघुवीरशरण अग्रवाल एम.प. 'घनश्याम'... २१ एक बार ( कविता )-[श्री भगवनस्वरूप जैन भगवन्'
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टाइटिल
अनुकरणीय
जिन दातारोंकी ओरसे १११ संस्थाओंको 'अनेकान्त' भेट स्वरूप भिजवाया जा रहा है, उन दातारों और संस्थाओंकी सूची सधन्यवाद छठी किरण तक प्रकाशित होचुकी है। इस माहमें श्रीमान सिद्ध करणजी सेठी अजमेर वालोंने ४ रु० दो जैनेतर विद्वानोंके लिये और ला• लक्ष्मीचन्दजी जैन पालम निवासी ने २२०१ संस्थाको एक वर्ष तक अनेकान्त भेट स्वरूप भिजवाने के लिये भिजवाए हैं। अतः दातारोंकी इच्छानुसार “अनेकान्त" प्रथम किरणसे जारी कर दिया गया है। -व्यवस्थापक