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बन्दे वारम्
[ल. श्री. 'भगवत' जैन]
[३] पुण्य-दिवस है आज, वीर-प्रभुने अवतार लिया था ! वह विभति ! जिनका दर्शन है सबको मंगल-कारी ! दखी-विश्वकं साथ एक गरुतर-उपकार किया था..! जिनकी शान्ति-मखाकतिसं तर जातं पापाचारी !! कठिन कार्य तत्व-लोकहितको-स्वीकार किया था ! नाम-मात्र जिनका अव्यर्थ कहलाता संकट-हारी ! मंत्र-अहियाका जगतीको करुणाधार दिया था !! अभय-लोकका वासी बनता वीर-नाम-व्यापारी!!
है जिनक नंतत्व-कालकी अबतक हम पर छाया ! वंदनीय वह अखिल विश्वके, माया-मोह विजेता ! 'हम उनकं' यह कहने भरका गौरव हमने पाया !! सर्व शक्ति-शाली परमेश्वर ! जगक अनुपम नेता !' यदि हम उनके पथ पर चलते तो मिट जाती माया ! सीमा-हीन-ज्ञानकं बल पर हैं अणु-अणुकं चत्ता ! रहता नहीं कभी भी यह मन सुखके हित ललचाया !! गाते जिनकी सतत महता मुनि सर-गण-अधिनंता !!
हृदय ! उन्हीं के चिन्तनमें अब भक्ति-युक्त होकर रम! बदल वासना-पर्ण विश्वका यह मिथ्या कार्यक्रम !! तभी. वंदना वन्हि स्वतः ही, हो जायेगा उपशम ! अतः प्रेम कही निर.तर सब-कर बन्दै बारम !!
विषय-सची *
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५. ममन्तभद्र-प्रवचन २. अन्तरद्वीपन मनध्य-मम्पादकीय ३. गजा हरमुग्यगय- [अ०प्र० गोयलीय ४. मत्संग ( कविता ) -[ अजान ५. परोपकार ( कविता )-[ श्री. कविग्न गिरधर शर्मा ६. प्राचार्य हेमचन्द्र- श्री रतनलाल मंचयी न्यायतीर्थ विशारद ७. शिक्षाका महत्व - [ श्री. परमानंद शाम्बी ... ८. भगवान महावीर ( कविता ) [ ले. श्री. यानंद जैन ६. नागन्य ( कहानी )-[ले. श्री भगवत् जैन ... १०. मुभापित [ले. स्वर्गीय पं० भधर दाम ... ११. उन्मत्त मंमार के काले कारनामे - पं. नाथगम डांगरीय १२. दक्षिण तीर्थ क्षेत्र-[ श्री. पं. नाथगमी प्रेमी १३. कथा कहानी [अयोध्याप्रमाद गोयलीय ... १४. भाग्य और पुरुषार्थ श्री. बा. सूरजभानजी वकील १५. मानव-मन ( कविता ) -[ श्री. नाथगम डोगरीय ५६. जैनधर्म और अनेकान-माहित्यरत्न पं. दरबागेलाल न्यायतीर्थ.. १७. तरुगा-गीत । कविता ) [ श्री. भगवन जैन १८. भगवनी अाराधना और शिवकोटि | ले. पं. परमानन्द शास्त्री १६. पथिक (कहानी:--लि. श्री नन्द्रप्रमाद जैन बी. ए.
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