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ॐ अहम
* अनेकान्त -*
परमागमस्य बीज निषिद्ध-जात्यन्ध-सिन्धुर-विधानम् । सकलनयविलसितानां धमथनं नमाम्यनेकान्तम् ।।
-श्रीमतचन्द्र रिः ।at
ममन्तभद्राश्रम, कगैलबारा, देहली। 14% मार्गशिर. मंवत १९८६ वि०, वीरनिर्वाण मं० २४०६
हली। 1771929
। किरण
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कामना : परमागम का बीज जो, जैनागम का प्राण ।
'अनेकान्त' सत्सय मो. कगं जगत्-कल्याण ॥१॥ 'अनेकान्त'-रवि-किरणसे तम-अज्ञान-विनाश । मिट मिथ्यात्व-कुरीनि सब, हो मद्धर्म-प्रकाश ।। २ ।। ,
कुनय-कदाग्रह ना रहे, रहे न मिथ्याचार । ६ तेज देख भागें सभी दंभी-शठ-वटमार ।। ३॥ ; । सूख जायँ दुर्गुण सकल,पोषण मिले अपार
सद्भावों को लोक में, हो विकसित संसार ॥ ४ ॥ : शोधन-मथन विरोध का हुआ करे अविराम । १ प्रेमपगे रल मिल सभी करें कर्म निष्काम ॥५॥
- 'युगवीर' :
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