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| તીર્થયુદ્ધશાન્તિનું મિશન.. "अभियोग या मुकद्दमा लडनेको व्यक्तियोंका युद्ध जो कहा गया है यह बिलकुल ठीक है । इस प्रकार आपसमें लडना, तीर्थक्षेत्रों के संबन्धमें कल्पित सत्त्वों का निष्पादन अथवा उनकी रक्षा करनेके भ्रममें अपनी शक्तिका नाश करना, यह हमारे सभ्य होनमें निश्चयमेव सन्देह पैदा करता है । यदि हम सभ्य होनेका दावा रखते हैं तो हमें चाहिए कि हम अन्य उचित मार्गों द्वारा अपने झगडोंका निपटारा करें। सत्त्वसंबन्धी झगडोंका निर्णय न्यायालयमें जानेकी अपेक्षा अन्य उपायसे यदि हो सके तो उस उपायसे काम न लेकर एकदम सीधे न्यायालयका मार्ग धारण करना सर्वथा अनुचित है । + . " हालहीमें नीचेकी अदालतने जो फैसला कर दिया है संभव है कि उसके विपरीत दोनों ओरसे अपील की जाँया इसलिए इसी अवसर पर हमें प्रयत्न करना चाहिए कि ऐसा न किया जावे । * * यह जान कर संतोष होता है कि इस प्रकारके प्रयत्नका आरंभ कर दिया गया है । इस प्रयत्नके करनेवालोंको-विशेष कर हमारे प्रसिद्ध धर्मबंधु श्रीयुत वाडी. लाल मोतीलाल शाहको-जितना हम धन्यवाद दें कम है; परन्तु ऐसा न करके कुछ सज्जन पुरुषोंने उनका उद्योग निष्फल करनेकी चेष्टा की है, व उन्हे बुरी इच्छासे यह उद्योग करनेका अपवाद लगाया है। श्रीयुत वाडीलालजीने इन अभियोगोंको तय करानेके लिए जो उपाय बताया है संभव है कि हमे वह उचित न जान पडे, परन्तु अपना मत- भेद प्रकट करनेके लिए यह आवश्यक नहीं था कि उन्हे मिथ्या अपवाद लगाया जाय सथा उन्हे व उनके सहायकोंके प्रति कुशब्दोंका प्रयोग किया जाय । उन लोगोंको छोडकरकि जिनको इन अभियोगोंसे प्रकट