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" है वारिका 'जीवन' नाम सच्चा"
प्रतीति अच्छे यह हो रही थी। पाने सुधी जीवन-दान-लाभ
इसी लिये पो बिठला रहेथे. जो याद आया सहसा सतीको, ___ “प्राणेशकी केवल आजसे हैआयुष्यके वासर तीन बाकी".
लगी कटारी विषकी बुझी सी. होने लगी बेहद वेदना भी,
नहीं जताया दुख पै किसीको. महाजनोंका यह धर्म हो है
जीकी जताना न व्यथा किसीको. सौभाग्यकारी व्रतको निभाने,
ऐसे महा भीषण कालमें भी रही निराहार, पिया न पानी, 8 श्री शांध्रि-पूजा विधिसे शुरू की.
NANCSHANA