________________
यद्यपि थी यह राजकुमारी, गर्व इसे पर छू न गया थाः कोई कन्या पाठ पूछती, उसे बता देती यह सुख पा.
इसकी लिपि थी अतिशय सुन्दर, कला - कुशलता की यह छवि थी.
इसका लिखना मजमूनोंका - देख चकित होते थे गुरुजन.
पढने में भी लिखने में भी,
सीने और पिरोने में भी,
चतुरा पाकशास्त्र में ही क्यासभी हुनरमें थी यह अनुपम.
जाना एकबार जो इसने -
उसका यह होगई खजाना; विद्यालयका यही मान थी, यही प्राग थी मातपिताके.
२