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सेवा मूर्ति नंदिषेण
. १०८ धर्म 5थान शासन (अ64IIs) विशेषis • -११-२००८, मंगलवार +4 - २१ - अं - १
रास्ते में ही मेरी मौत हो जायेगी तो मेरी दर्गति होगी । मैं आराधना भी नहीं कर सकूँगा । वे तेज चलते है तो कहते हैं, इस प्रकार चलेगा तो मेरे प्राण ही निकल जायेंगे, तूंने यह कैसा अभिग्रह लिया है ? ऐसा सुनते सुनते भी नंदीषण को साधू के प्रति जरा सी भी घृणा, क्रोध और द्वेष न हुआ और उन्हें उपाश्रय पर ले आये।
उपाश्रय पर ले जाकर सोचने लगे कि इस साधू को निरोगी कैसे किया जाये ! मैं स्वयं योग्य चिकित्सा न ही कर सकता हूँ एसा समझकर स्वयं अपनी निंदा करते हैं। देवसाधू नेजान लिया कि नंदीषेण वैयावच्च करने में मेरु समान निश्चल हैं। उन्होंने प्रकट होकर सर्व दुर्गंध समेट ली और नंदिषेण पर पुष्पवृष्टि करके कहा, "है मुनि ! आपको धन्य है ! इन्द्र ने
वर्णन किया था उससे भी आप बढकर हो।' इस प्रकार कहकर क्षमायाचना कर देवस्वर्गलौट चले।
तत्पश्चात् नंदिषेण मुनि ने बारह हजार वर्ष तक तप किया और तप के अंत में अनशन प्रारंभ कर दिया। तपस्वी को वंदन करने अपनी स्त्री सहित चक्रवर्ती वहाँ आये । स्त्री की काया तथा अति सुकुमार और कोमल केश देखकर उन्होंने संकल्प किया कि 'मैं इस तप के प्रभाव से ऐसी कई स्त्रियों का वल्लभ बनूं।' वहाँ से मृत्यु पाकर वे महाशुक्र देवलोक में देवता बने । वहाँ से वे सूर्यपुरी के अंधक वृष्णि की सुभद्रा नामक स्त्री के दसवें वसुदेव नामक पुत्र हुए । वहाँ नंदिषेण के भव के संकल्पसे बहत्तर हजार स्त्रियों से उनका ब्याह हुआ। वे ही श्री कृष्ण के पिता वसुदेव!
प.पू. आ. श्री विनय अमृत सूरीश्वर म. सा. ना पर -.आ.श्रीनियमिन्द्र सूरी-20 महारानी . પ્રેરણાથી જૈન શાસન ૧૦૮ ધર્મકથા વિશેષાંકને હાર્દિક શુભેચ્છા
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પ. પૂ. આ. શ્રી વિજય અમૃત સૂરીશ્વરજી મ.સા. ના પધર
પૂ આ શ્રી વિજયંજિતેન્દ્ર સૂરીશ્વરજી મારાજની પ્રેરણાથી જૈન શામળ ૧૦૮ ધર્મકથા વિશેષાંક ને હાર્દિક શુભેચ્છા 'શાન્તાબેન ગોસરભાઈ વીરપાર દોઢિયા પરિવાર
મહેતા પ્રભાબેન હેમતલાલ વિઠલજી
સહ પરિવાર
ગામ : નવાગામ, હાલ : જામનગર પીળી બંગલી, ખંભાળિયા નાકા બહાર,
જામનગર,
શાક માર્કેટ પાસે, ગિરધારી મંદિર રોડ,
Mभनगर.