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________________ श्री उदयन मंत्री वि.सं. २०६४, आसो सुद-७, भंगणवार त.-१०-२००८.१०८ धर्मस्थाविशेषांs पुण्यकारी की अनुमोदना करते हुए मुनिराज से धर्म सुनने लगे। तीन बार नवकार मंत्र सुनाया। भक्तमार स्तोत्र की पहली तथा दूसरी गाथा बड़े मधुर स्वर से गायी। भक्तामर की दूसरी गाथा पुरी होते ही 'स्तोष्ये किलाहमपितं प्रथम जिनेन्द्रम्' बोला । उस समय मंत्री गुरु को वंदन हेतु झुकते हो उस प्रकार झुके और उनका प्राणपखेरु उड गया । समाधिचरण होते ही उदयन - मंत्री स्वर्ग गये। सामंतो ने साधू के वेशवाले भाण्ड को सुंदर अभिनय से वेष करने का अच्छा पुरस्कार धरा और अब साधूभेष उतार देने के लिए कहा । परंतु वह तो सोच रहा था कि अहा ! साधूवेष की कैसी महिमा है ? मैं भिक्षुक हूँ और ये सैनिक वगैरह जिनकी पूजा करते हैं, वंदना करते हैं, उन्होने मेरी वंदना की; सो यह वेश अब नहीं छोड़ा जा सकता । उसको सद्गुरु के पास जाकर भाव से विधिपूर्वक दीक्षा लेकर वाकई मे साधू बनकर साधूवेष शोभायमान करने की भावना जाग्रत हुई उसने पुरस्कार अस्वीकार करते हुए कहा : 'मंत्रीश्वर की आँखें बंद हो गई लेकिन मेरी आँखे खुल गयी।" 'मेरी तो सचमुच दीक्षा लेकर भव पार करने की एक मात्र इच्छा है' युं कहकर एक आचार्य से दीक्षा लेकर गिरनार पर्वत पर जाकर दो माह का अनसन करके कालानुसार देव लोक गया। मृत्यु समय पर मंत्रीश्वर ने जो अन्य तीन इच्छाएं की थी वह पाटण लौटने पर बाहड मंत्री ने पूर्ण करदी। | प. पू. आ. श्री विश्य अमृत सूरीश्वर म. सा. ना पट्टधर । पू. सा. श्री विश्य पिनेन्द्र सूरीश्वर महारानी प्रेरशाथी पेन शासन १०८ धर्मऽथा विशेषांड ने हार्टि शुभेच्छा ५. पू. आ. श्री विनय अमृत सूरीश्प२७ म. सा. ना ५४५२ પૂ. આ શ્રી વિજય જિનેન્દ્રસૂરીધ્વરજી મહારાજની પ્રેરણાથી જૈન શાસન ૧૦૮ ધર્મકથા વિશેષાંકને હાર્દિક શુભેચ્છા મોહળાહથwાઈ શાહ (6) ય) | શ્રી ગુણધતીબીઈસરાજેશાણો હસ્તે કંચનબેન ત્રણ દરવાજા પાસે, ખાંડ બજાર, ગ્રેઈન માર્કેટ, જામનગર - ૩૬૧૦૦૧ शेन:(ओ.)२५५3c (घर)२५stoce E-mail : Kanteas@yahoo.com ઓશવાળ કોલોની, જામનગર, ( HEMAMATKARI MSEX Trisxe
SR No.537274
Book TitleJain Shasan 2008 2009 Book 21 Ank 01 to 48
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
PublisherMahavir Shasan Prkashan Mandir
Publication Year2008
Total Pages228
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shasan, & India
File Size11 MB
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