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________________ સમાચાર સાર श्री वैनशासन (अठवाडी) ગુરુજીઓનું બહુમાન કર્યું હતું. સારાય પ્રસંગનું સંચાલન મુખ્ય ગુરુજી સુરેન્દ્રભાઇએ સુંદર સંચાલન કર્યું હતું. ” जोहा : (डुंगरपुर) भां शासन प्रभावना : પૂજય પરમ કૃપાલુ આચાર્યદેવ શ્રીમદ્ વિજય મહાબલસૂરીશ્વરજી મ.સા.ની પરમ કૃપાથી પરમ પૂજય વર્ધમાન તપોનિધિ આચાર્યદેવ શ્રીમદ્ વિજય કમલરત્ન સૂરીશ્વરજી મ.સા.ના શિષ્ય રત્ન પ.પૂ. પ્રવચન પ્રભાવક આચાર્યદેવ શ્રીમદ્ વિજય દર્શનરત્ન સૂરીશ્વરજી મ.સા. માહવદ ૧૩ દિ. ૧૮-૨-૦૪ના દિવસે કેશરીયાજીનું મૂલ स्थान षडीहा (डुंगरपुर राजस्थान) तीर्थभां पधारेल. અત્રે વાજતે ગાજતે જઈ યશપાલજી ચિમનલાલજીને ત્યાં ચતુર્વિધ સંઘના પગલાં થયેલ. ત્યાં વ્યાખ્યાન બાદ યશપાલજીએ ગુરુની નાગી ગુરુપૂજા કરેલ. ત્યારબાદ દરેક સાધુ- સાધ્વીજી ગુરુપૂત્ર સુછી સંઘપૂજન થયેલ. आचार्यदेव श्रीमद् विजय दर्शनरत्न सूरीश्वर म. की वि.सं. २०५९की शासन प्रभावना और भीम (मेवाड) मे बडी दीक्षा (१) कार्तिक सुद १५ दि. २०-११-२००२ को करमदी तीर्थ की चैत्यपरिपारि (२) मगसर वद १० दि. २९-११-२००२ को इतनारा (एम.पी.) में प्रतिष्ठा. वर्ष : 15s : ता. ०-३-२००४ मुनिराज श्री किरणरत्नविजयजी की बडी दीक्षा एवं पंचान्हिका महोत्सव. (८) चैत्र सुद १५ दि. १५-४-२००३ को तिखीमें पट अभिषेक शांति स्नात्र महापूजन एवं पंचान्हिका महोत्सव. (९) खेडब्रह्मा, तिखी, एलाना, इतनारा, बडोदं, जालोर आदिमें भव्य स्वागत. (१०) वैशाख सुद ११ दि. २७-४-२००३ को कु. चंदनबाला वगतावरमलजी मुथाकी भव्य दीक्षा एवं ऐतिहासिक चढावो. (११) वैशाख सुद-६ दि. ७-५-२०० आबु रोडमें ध्वजारोहण एवं सिद्धचक्रपूजन. (१२) वैशाख सुद - ७ दि. ८-५-०३ को काछोलीमें मूलनायक उत्थापन एवं दो महापूजन.. (१३) वैशाख सुद-११ दि. १२-५-०३ को साध्वीजी श्री चरण प्रज्ञाश्रीजी की पींडवाडामें बडी दीक्षा. (१४) जेठ वद ११ दि. २६-५-०३ को आनंदधाम ( रमणीयर) तीर्थ रात्रीमें कलकत्ता निवासी राजेशभाइ की दीक्षा. (१५) लांबोडी मेवाडोमा जेठ सुद-४ दे ४-६-०३ ध्वजारोपण. (१६) जेठ सुद - ९ दि. ९-६-२००३ को भीम (मेवाड ) मुनिश्री रामरत्नविजयजीकी बडी दीक्षा एवं अब नाम बदलकर मुनिश्री रजतरत्नविजयजी रखा गया एवं आचार्य दर्शनरत्नसूरीजीके शिष्य बने. त्रिलोकबन्धु गन्ना परिवारने बडी दीक्षा का आयोजन किया एवं जितेन्द्रधाम (३) मगसर सुद ८ दि. ८-१२-२००२ को बडोद (एम.पी.) में प्रतिष्ठा. (४) मगसर सुद १० दि. १४-१२-२००२ से बडोद गीस्तार चुस्त छरी पालित संघ मे मंदसौर से वडस्ती तक निश्रार्पण. (५) पोषं सुद में खेडब्रह्मा में ५०० आयंबिल पूर्णाहूति (कीर्तिस्तम्भ) में वासक्षेप विधि तथा सोसायटीमें जिन एवं सिद्धचक्र महापूजन. (६) माह सुद ६ दि. ७-२-०३ को जिरावला में साध्वीजी जिनरक्षिताश्रीजी एवं बबीबेन मंछालालजी एवं विमलाबेन नथमलजी का ५०० आयंबिल पूर्णाहुति एवं दोतराई से चैत्य परिपारि एवं सिद्धचक्र महापूजन. (७) फागण सुद २ दि. ५-३-२००३ को जालोर में मंदिरमें वासक्षेप तथा भव्य सामैया एवं सम्मान समारोह तथा २७ देरी केशरिया जैन मंदिरकी ध्वजारोपण एवं नूतन मुनिके नामकरण के चढ़ावे ले कर भीम के इतिहासमें सुवर्णाक्षरसे सदा अंकित रहे एस रेकोर्ड स्थापित किया था । प.पू. वर्धमान तपोनिधि आचार्यदेव श्रीमद्विजय कमलरत्न सू.मं. के पट्टधर आचार्यश्री दर्शनरत्न ૨૯૪
SR No.537269
Book TitleJain Shasan 2003 2004 Book 16 Ank 01 to 48
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
PublisherMahavir Shasan Prkashan Mandir
Publication Year2003
Total Pages382
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shasan, & India
File Size23 MB
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