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________________ મહાવી૨ ૨૬સૌર્વે જન્મો ૨ વર્ષ મેં જન-ક્લ્યાણ કી અનેક યોજના કિ સ્વ મહત્વકી યોજના ? श्री वैन शासन (आठवारिङ) वर्ष १३ खंड २२/२३ ता. ६-२-२००१ अनधिकार चेष्टा ओ योजना के पहेले वियोजना ? महावीर २६ सौवें जन्मोत्सव वर्ष में जन-कल्याण की अनेक योजना कि स्व महत्वकी योजना ? नई दिल्ली : भगवान महावीर २६ सौवें जन्म-कल्याणक महोत्सव महासमिति की राष्ट्रीय स्तर पर यहां ३० सितंबर को आयोजित बैठक में निश्चय किया गया कि जन्मोत्सव वर्ष में जन-कल्याण की ऐसी अनेक योजनाएं जन समाज द्वारा क्रियान्वित की जाएंगी, जिनसे आग व्यक्ति को लाभ पहुंचने के साथ-साथ भगवान महावीर के सिद्धांतो का प्रचार - प्रसार हो । बैठक महानमिति के अध्यक्ष श्री दीपचंद गार्डी की अध्यक्षता और कार्याध्यक्ष श्रीमती इन्दु जैन के सान्निधय में सम्पन्न हुई । देश के विभिन्न राज्यों से आए लगभग डेढ़ सौ प्रतिनिधि सभा में उपस्थित थे । श्रीमती अनीता जैन के ओंकार को नमस्कार करने के म्गलाचरण के उपरांत श्री दीपचंद गार्डी ने प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि संख्या में कम होते हुए भी देश में जैनों का महत्वपूर्ण स्थान है । भगवान महावीर के २६ सौवें जन्म-कल्याणक महोत्सव का यह महान अवसर हमारे सामने है, जिसमें संपूर्ण जैन समाज को अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांत के सिद्धांतों की प्रभावना करनी है । जैनधर्म ने जीवमात्र के कल्याण की कामना की है । महासमिति के महासचिव साहू रमेशचंद्र जैन ने बताया कि इस महोत्सव वर्ष के लिए अनेक जन-कल्याण की योजनाएं बनाई जा रही हैं, ये पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवदया, मानव- उत्थान आदि अनेक क्षेत्रों से जुड़ी हैं । इस वर्ष में जैन धर्म की प्राचीनता पर जोर डालते हुए आदिनाथ से महावीर तक की बातें का जायेगी. यह भ्रम दूर किया जाएगा कि जैनधर्म महावीर से शुरू हुआ है । हमारी योजनाएं हैं कि भगवान महावीर के नाम से एक विशाल रचनात्मक काम हो जं स्थायी महत्व का हो । विश्वविद्यालय बने, शाकाहार का प्रचार हो तथा यह वर्ष अहिंसा वर्ष हो । रमेश जी ने बताया कि भगवान महावीर पर डाक टिकट जारी होगा । इसका डिझाईन तैयार हो रहा है किन्तु इस पर मूर्ति का चित्र नहीं होगा । उन्होंने जनगणना, अल्पसंख्यक मुद्दा, राष्ट्रीय समिति के शीघ्र गठित होने की घोषणा, राज्यों में समितियों के गठन आदि कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला । सभा में विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों में श्री निर्मल कुमार सेठी ने पुरातत्व की रक्षा, संग्रहालयों के विस्तार, प्रतिक स्तंभों के निर्माण का सुझाव दिया । श्री नरेश कुमार सेठी ने उत्सव का एक लोगो बनाने व महावीर के साथ आदिनाथ का नाम लेने पर बल दिया । पटना के श्री ताजबहादुर सिंह ने बिहार में तीर्थक्षेत्रों व वैशाली के विकास की अपील की। श्री प्रदिप कासलीवाल ने खजुराहो, बावनगजा को पर्यटकस्थल बनाने का सुझाव रखा । श्री हस्तीमल मुनोत ने अहिंसा पर जोर दिया तो रिखवचंद जैन ने दिल्ली में भगवान के पांचो कल्याणक - तिथियों पर उत्सव करने व अहिंसा-द्वार बनने का सुझाव रखा । श्री बाबूभाई गांधी, श्री हीरालाल छाजेड़, श्री महाबीर प्रसाद जैन (असम), श्री अशोक जैन, भरत काला, मनोहरलाल जैन, गणपतराय जैन, रतन जैन आदि ने भी कार्य में तेजी लाने की आवश्यकता बताई । कार्याध्यक्ष श्रीमती इन्दु जैन ने सभा का सार प्रस्तुत करते हुए अंत में कहा कि संपूर्ण जैन समाज के विवादों को भूल एकजुट होकर यह महोत्सव मनाना है क्योंकि आज के युग में विश्वशांति का एक मात्र उपाय अहिंसा है । विश्वशांति शिखर सम्मेलन ने भी इसे स्वीकार किया । उन्होंने युवावर्ग व महिला वर्ग को विशेष रूप से इस कार्य से जुड़ने का आह्वान किया तथा सभी से अनुरोध किया कि वे विभिन्न कार्यक्रमों को चुनकर उन्हें क्रियान्वित करें । श्रीमती इन्दु जैन ने स्वयं को इस महान कार्य के प्रति समर्पित करते हुए एक कविता में कहा " अंधकार है कहां ? / रोशनी के न होने में / दुःख है कहां ? / स्वयं से दूर होने में । यह दूरी ही **** ૩૯૯
SR No.537263
Book TitleJain Shasan 2000 2001 Book 13 Ank 01 to 25
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
PublisherMahavir Shasan Prkashan Mandir
Publication Year2000
Total Pages298
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shasan, & India
File Size18 MB
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