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________________ १४४ : . - श्री शासन (45) चर्चा करते हुए फ्रान्सीसी विद्वान् डा. ए. गेरोनो के प्रति कृतज्ञता प्रकट की है जिन्होने सन् १९०८ तक उपलब्ध जैन ऐतिहासिक एवं पुरातात्त्विक सन्दर्भो का संकलन कर दो महान् ग्रन्थो का प्रकाशन कराया था जिसमें प्रथम ऐसीया दी बीब लीओग्राफी जैन सन् १९०६ में तथा दूसरा रीप्रेटोरी डी' इपीग्राफी जैन सन् १९०८ में प्रकाशित हुआ था । उन्ही के चरण चिन्हों का अनुसरण करते हुए स्व. बाबूजी ने रोयल एशियाटिक सोसाइटी बंगाल के ग्रन्थागार, कलकत्ता म्यूजियम तथा अन्य साहित्यिक संस्थाओं के ग्रंथागारों में बैठकर एवं देश के विभिन्न ऐतिहासिक, पुरातात्त्विक एवं संस्कृतिक केन्द्रो का परिभ्रमण एवं सर्वेक्षण और निरीक्षण कर सन् १९२५ तक उपलब्ध विभिन्न जैन सन्दर्भो की बारीकी से शोध-खोज कर संकलन किया और प्रथम संस्करण जैन बि का प्रकाशन कराया । इसके लिए वे प्रतिदिन कई घंटो तक इन ग्रन्थाकारों की पत्र-पत्रिकाए प्रकाशित ग्रन्थ, प्राचीन हस्तलिखित पांडुलिपियां, शिलालेख, मूर्तिलेख, यन्त्रलेख, सिक्के, गजेटियर, जनगणना रिपोर्ट वर्षों तक पलटते रहे और उनसे जैन सन्दर्भ खोजकर नोट करते रहे । इस तरह सन् १९२५ तक की उपलब्ध सभी जैन सामग्री प्रथम संस्करण में १९४५ में प्रकाशित करा दी। इसके बाद भी वे अपने शोध कार्य में लगे रहे और मिशनरी की भांति कार्य करते रहे । यद्यपि उनका स्वास्थ्य अनुकुल नहीं रहता था फिर भी जिनवाणी की आराधना में उन्होंने कोई कमी नहीं आने दी और १९६० तक की उपलब्ध सभी जैन सामग्री जै. बि के दो भागो में दे दी जो सन् १९८२ में द्वितीय परिवर्तित संस्करण के रूप में प्रकाशित हुई थी । खेद है कि स्व वाबूजी द्वितीय संस्करश का प्रकाशन नहीं देख सके । वे सन् १९६६ में ही काल कवलित हो गये। जै बि की सम्पुर्ण सामग्री दस अध्यायो में विषयवार विभाजित है और प्रत्येक अध्याय अनेक उप-विषय में विभाजित होने से शोधार्थी को मोटे • मोटे सन्दर्भो की सूचना सरलता से उपलब्ध हो जाती है पर बारीक और गम्भीर सन्दर्भो को ढूंढ निकालना इनडेक्स के बिना सर्वथा असम्भव है । यहां हम उन दस अध्यायों के विषय उनकी प्रविष्टियों की संख्या, पृष्ठ संख्या
SR No.537259
Book TitleJain Shasan 1996 1997 Book 09 Ank 01 to 48
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
PublisherMahavir Shasan Prkashan Mandir
Publication Year1996
Total Pages1030
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shasan, & India
File Size32 MB
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