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________________ वर्ष ४७-८ . १-१०-८६ : १४३ रहे है । कोई इसे खरीदना भी नहीं चाहता क्योंकि इनडेक्स के बिना इससे अभीप्सित सन्दर्भ प्राप्त कर पाना शीधार्थी को दुर्लभ है । इस ग्रंथ के प्रकाशन पर जो इतनी विपुल धनराशि खर्च हुई है वह समाज की कठोर श्रम से उपार्जित सम्पत्ति का सदुपयोग सा नहीं लगता है । गोल करती 7 उन्होने ग्रन्थ के जैन० बि० के द्वितीय परिवर्द्धित सन् १९८२ के संस्करण में बी. से. म. के मंत्री महोदय के प्रकाशकीय वक्ष्य के अतिरिक्त शेष सन् १९४५ केप्रथम संस्करण के प्रकाशक श्री एस. सी. सील का प्रकाशकीय वक्तव्य, डा. कालिदास नाग का प्राक्कथन एवं बा. छोटेलालजी की भूमिका आदि ठीक वही है जो सन् १९४५ वाले संस्करण में थी । इस ग्रंथ में बा. छोटेलालजी को चित्र भी दिया गया है जिसमें वे तत्कालीन काली हुए है जो उन दिनों फेल्ट केप के नाम से प्रसिद्ध हुआ टोपी स्व, बाबूजी को बहुत रुचिकर होती थी । श्री एस. पी. जुलाई १९४५ को अपने प्रकाशकीय वक्तव्य में प्रथम संस्करण भारतीय जैन परिषद से होने का उल्लेख किया है । इससे महत्त्व और बा. छोटेलालजी के परिश्रम की सराहना करते हुए जैन समाज से अपील की है कि बौद्धों की भांति जैनियों को भी जैन शोध के क्षेत्र में प्रगति करना चाहिए और ऐसे शोधपूर्ण ग्रन्थ प्रकाशित कराना चाहिए | उन्होने इस ग्रंथ में सन् १९०८ से १९२५ तक के उपलब्ध विभिन्न जैन शोध सन्दर्भों के संकलन का उल्लेख किया है । डा. कालिदास नाग जो अपने समय के मुर्धन्य इतिहासवेत्ता और अग्रणी विद्वान् थे, ने अपने प्राक्कथन में इस ग्रंथ की उपयोगिता और बा छोटेलालजी के श्रम एवं बुद्धिकौशल की प्रशंसा करते हुए जैन अहिंसा को समाज और देश के लिए कल्याणकारी सिद्ध करते हुए इसके व्यवहारिक उपयोग के प्रति ध्यान आकर्षित किया है । यह प्राक्कथन ११ जुलाई १९४५ को कलकत्ता में लिखा गया था । टोपी पहिने थी । यह सील ने २५ का प्रकाशन अन्त में श्रावण कृष्णा प्रतिपदा वी. नि. सं. २४७१ तदनुसार २५ जुलाई १९४५ को कलकत्ता में बा. छोटेलालजी ने अपनी संक्षिप्त भूमिका में जैन संस्कृति का भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विकास में योगदान की
SR No.537259
Book TitleJain Shasan 1996 1997 Book 09 Ank 01 to 48
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
PublisherMahavir Shasan Prkashan Mandir
Publication Year1996
Total Pages1030
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shasan, & India
File Size32 MB
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