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स्व. गच्छाधिपति पू आचार्यदेव श्री रामचन्द्रसूरीश्वरजी । ___म. सा. को समर्पित
श्रद्धा-सुमन karaNAGDAMDHANE HEREMI-HEIGHa!
( दिल एक मंदिर है ) । राम एक सागर है ।। बूंद हैं सिंधु की नन्हों सी हम तो, ऐसा वो सागर है..!
प्रेम गुरु की पावन छाया, सयम लेकर मन मुस्काया, - दान का लाडला राम था चमका, जैसे दिवाकर है...राम. पत्थर चले पर राम अडिग है, कैसी निडरता कैसी खुमारी, हर मोड पे भी ना घबर ये, ऐसा वो वीर है...राम. ___पुण्यशाली के हर एक कदम पे, होती रही है नित्य दीवाली,
राम जहाँ हैं अयोध्या वहीं पे, पुण्य का सागर है...राम. १ श्रावण की चौदश आयी वो काली, धरती बनी सारी अंधियारी, | काल ने छीना राम को हमसे, कैसा ये ताण्डव है...राम.
दर्द बिदाई दिलाये तुम्हारी, यादों में भर आये अंखियाँ हमारी,
उमड़ पड़ा है हर एक मन में, दुःख का सागर है....राम. पन्यास विमलसेनविजयजी, निश्रा में सब मिल गुण-गान गायें श्रद्धा सुमन करते है अर्पण, राम के चरणों में...राम.