________________
युतचन्दसन जनाक
रोगों का एकदवा
अनेक रोगों
JOINGiResunlousale
कि फिसी) तीन सी० उडान्सलग आजकल करते २ अरसा २० सालसे में कुछ ऐसी दवाकी खोजमें था जो जगतको आशीर्वाद रुप हो जाय, एक ही छोटी सीसी अपने जेबमें रखनेसे सारा दवाखाना निकम्मा हो जाय-यानी अपना जाकीटके जेवमें एक छोटीसी सीसीक अंदर सारा दवाखाना आ जाय । परदशमें, रेलमें, जहाजमें, जंगल में छोटे मोटे गांवमें जहां जिस वक्त कोई बीमारी उमड आई उसीदम उसका इलाज अपने जेबमेंसे निकाल पडे। कई आशा निराशाके झोके खाते आज २० वर्षके बडे परिश्रमके बाद मैने यह चन्द्रामृत पाया है।
इससे बादी, बदहजमी, दस्त, के, खांसी, दमा, शीरदर्द, जुखाम, आंखका द, इति वा डाढ़का दर्द, कर्ण रोग, दाद, खुजली, खाज, हेजा, सूजम गठिया, बात, लकवा, कमजोरी, अशक्ति, नामर्दी, जहरी डंक, प्लीहा, अण्डवृद्धि, प्रदर रोग, सरदी, बवासीर मुंह के छाले, प्रमेह, रक्त शुद्धि, जलना, ताप (बुखार) नहारुआ हिचकी, दुगन्धि, खटमल आदि प्रायः सवें रोगीका पूरा २ इलाज ह। गृहस्थों को एक शीशी अवश्य पास रखना चाहिये। कीमत अमीर गरीब सब के लिये थोड़ी रखी है. खाने लगानेकी तरकीब दवा के साथ मिलती है। की० फी शीशी ॥) तीन शीशी २) रु० डा०. खर्च अलग ।। दवा मंगाधवानुं स्थल:
चन्द्रसेन जैन वैद्य, चन्द्राश्रम-इटावह. U. P.