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જાદવમાં નવી પાઠશાળા.
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जावद ( मालवा ) मां नवी पाठशाळा.
के साथ प्रकाशित किया जाता है कि श्री जावद शहर मालवा प्रान्तमें हैं यहां जैन श्वेताम्बर कोंकी बस्ती होते हुए स्थानकवासी साधुओंके उपदेशसे अधिकांक्ष गृहस्थोंने श्री जैन मन्दिर ४ चार होते हुए अपने परंपूज्य परमात्माकी प्रतिमाका दर्शन पूजा छोडकर नौकर ब्राह्मणोंके भरोसेपर निश्चित होजानेसे सेठजी श्री रतनलालजी, नेमीचन्दजी सीपानी व सखलेचा लक्ष्मीलालजी तथा कचरमलजी पोरवाड आदिने विचारकर परंपूज्य श्रीमती साध्वीजी महाराज श्री पुन्यश्रीनीकी सेवामें मुकाम रतलाम चार, पांच श्रावर्कोको भेजकर प्रार्थना कराई कि हमारे यहां साधु साध्वीका चतुरमास न होनेसे सद्धर्मकी बडी हानि हो रही है, वास्ते कोई भी साध्वीजी महाराजकी आज्ञा होनी चाहिये. इसपर श्रीमती गुरुणीजी साहबने श्री विवेकभीजीको ठाणा ५ पांचसे चतुरमासके लिये आज्ञा दी.
इतनेमें जैन श्वेताम्बर कोन्फरन्सके प्रोविंशियल सेक्रेटरी सेठ लक्ष्मीचन्दजी घीयाका मुकाम प्रतापगढ़से यहांकी दुकानपर आना हुआ तो इन्होंकी कोशिससे व साध्वीजी महाराजके पधारनेपर बहुतसे गृहस्थ स्थानक जानेवालेभी मंदिर आने लगे और बाक्षान प्रतिक्रमणादि धर्मक्रियाका लाभ लेने लगे, और कितनेक दिन बाद महाराज साहबके उपदेशसे उक्त घीया साहबने तारीखे ७-८ - १० को सभा कर विद्योन्नातिके विषयमें भाषण देके जैन पाठशालाका पुनरोद्धार किया गया, जिसमें २५ पच्चीस विद्यार्थियोंके अनुमान जैनसेली ( प्रतिक्रमण जीवबिचारादि ) अभ्यास करते हैं.
और फिर पर्वाधिराज पर्युषण पर्व आनेसे उपाश्रय में मनुष्योंकी भीड़ अधिक होने लगी. श्री जयपुरसे स्वप्नकी तस्वीरें मंगाकर जन्मोत्सवके दिन स्वप्न उतारे गये तो यहांपर नई प्रथा होनेसे सद्गृहस्थोंने अधिक उत्साहंसे घीकी चढ़त बोली. साधारण देवद्रव्यकी वृद्धिको आशाथी उससे अधिक हुई. तैसेही कल्पसूत्रके लेजानेमें तथा बाहरसों सूत्रके पत्र झेलनेमें ज्ञानद्रव्यकी उपज होनेसे एक छोटीसी लायब्रेरी ( पुस्तकालय ) की स्थापना करनी निश्चय की गई कि जिससे जैन बंधु स्वाध्यायादिका लाभ लेते रहेंगे और ५० पचास वर्षके वृद्ध पुरुषोंका भी यही कथन हैं कि ऐसा आनन्द पर्युषणका पहिले नहीं देखागया, यह सर्व उत्तम कार्यका होना साध्वीजी महाराज श्रीजीके उपदेश और घीया साह - बकी कोशिसका परिणाम है. इसी तरह इस प्रान्तमें साधु साध्वीजीका बिचरना होता रहेगा तो अवश्य लाभ होना सम्भव है, जैसेही हमारे मालवे प्रान्तके सेक्रेटरी साहब हर एक उत्तम कार्यके लिये प्रयास करते हैं वैसेही हर एक प्रोविंशियल सेक्रेटरी साहब कोशिस करते रहें तैसे ही हमारे जैन बंधु कोन्फरन्सके ठहरावोंकी पाबंदी रखकर चलें और जगह जगह जैन बोर्डिंग स्कूल स्थापित होकर उनके द्वारा भविष्यकी सन्तान ज्ञाता होनेसे हानिकारक रिवाज तथा मिथ्या प्रचार से बचकर उन्नतिको प्राप्त होना सम्भव है.
श्रीसंघका सेवकः – किसनलाल मास्टर जैन पाठशाला, जावद.