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________________ ३२४] न २१ २८४. [मोर अग्रेसरोनुं ध्यान खेंचवानी जरूर जोईए छीए के घणी बाबतोमां आपणे आळसु होवाना सबबेज घणु ग्वोयुं छे. एज कारणथी आपणा हको भूतकाळमां नहि रजु करवाथी पालीताणामांनी आपणी सत्ता भूतकाळ करतां घटीछे, अने भविष्यमां वधु घटवानो संभव छे. समेतशिखरना संबंधमां योग्य वखते आपणा दस्तावेजो तथा हको नहि रजु करवाथी रक्षणमाटे नीमेलो एक चोकीदार आखा डुंगरनो धणी थवानो वखत आवी पहोंच्यो छे. एज कारणथी आपणा जैन तहेवारोने सरकारे स्वीकार्या नथी, एज कारणथी आपणो जैन कायदो अंधकारमां दबाई रह्यो छे. अने एज कारणथी धारासभाओमां अत्यार सुधी कोईपण जैन जणायो नथी. ए माटे अमो फरी फरीने भार मूकीने जणावीए छीए के जैन कोम पोतानो अवाज आ नवा सुधाराओ संबंधमां पणीज असरकारक रीते बहार पाडवानी जरूर छे. केटलाको जैन मासिको अथवा अठवाडिको मारफते बहार पडता विचाराने पोतानी कोमर्नु मत बहार पडेल गणवानी चुक करे छे पण तेओए याद राखवानी जरूर छे के, आपणा वर्तमान पत्रो तेमज मासिको सरकारमा क्वचितज वजन धरावनारा छे ने भाग्येज तेना विचारो सत्ताधिकारी ओने काने पहोंचता हशे. वळी साधारण संजोगी वचे वर्तमानपत्रोना अभिप्राय भले पुरता गणवामां आवे पण आ योजनाओने तेमज संजोगोने साधारण तरीके पसार करी शकाय एम नथी. ए योजनाओ हिंदी सरकारने प्रजाना भविष्य संबंधमां पाया समान छे. अने एक इमारत उभी करवा अगाउ पाया सबंधमां इमारत उभी करनाराओ तरफथी कसुर करवामां आवे तो तेनुं परिणाम केवं आवq जोईर ते समजवू मुश्केल नथी. नामदार हिंदी सरकारे अने हींदी प्रधाने पोताना तैयार करेला आ पाया उपर इमारत चणवा अगाउ तेनी साथे जेओना भविष्यने निकटनो संबंध छे तेमने तेनी तपास लेवा अने तेमां पोग्य सुधारो करवानी सुचनाओ रजु करवा · जागृत कर्या छे ते छतां पोताने आपवामां आवेली तेवी योग्य अने उंची तकनो लाभ लेवाने प्रजा लरफथी तथा अमुक कोम तरफथी जोईए तेवो तैयारी जो बताववामां नहीं आवे तो तेमां पोतानीज कसुर गणाशे. एवा वखते पोताना एकल डोकल वर्तमानपत्रो के एक बे सभाओना अभिप्राय, उपर जणाव्यु तेम पूरता गणी शकाशे नहि. सुधरेला देशोना इतीहास तरफ दृष्टि करतां जणाशे के त्यां आवी कोई योजना प्रजामत माटे बहार पडतां देशना एक नाकाथी बीजा नाका सुधी जुदा. जुदा लाभो धरावती जुदी जुदी संस्थाओनी सभाओ उपर सभाओ भराय छे, अने विवेचनो उपर विवेचन थवाथी संख्याबंध अरजीओ घडाई लागतावळगताओ उपर मोकलवामां आवे छे.
SR No.536503
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1907 Book 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1907
Total Pages428
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size12 MB
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