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________________ 38] है स २८३. [मटोप [ Proposed reforms of Councils letter of Government dated 24th August 1907. 1 दुनीआ जे प्रवाहे आगळ वधे छे तेनी कल्पना मात्र पण महाबुधिशाळीना मगजमां अववी मुश्केल छे. हिंदुस्तान देशनो इतीहास दुनीआनी कोइ पण बीजी प्रजा करतां तेना बनावोमां, तेनी व्यक्तिओनी बहादुरीमां, तेना राजाओना पराक्रमोमां, तेनी प्रजाओना धार्मिक कार्योमां, तेना देवालयोना इतीहासमां, तेना धार्मिक झघडामां अने बीजी अनेक बावतोमां उतरतो नथी. ए हिंदुस्तान देशमां, हिंदुओ, जैनो, अने बौधोए जे अनेक देशसेवाना, प्रजासेवाना, अने धर्म तथा संसारसेवाना कार्यों को छे ते अतुल छे. ज्यारथी हिंदु राज्यो अने राजाओनी पडती आवी त्यारथी हिंदुस्तानना ए त्रणे महान जोडाएला विभागोनी पण पडती शरू थई अने हाल तेओनी स्थिति पोतानापर आधार राखती नहि, पण बीजापर आधार राखती थईछे. ___ ज्यारथी देशमां मान, जर, अने स्त्री माटे झघडा शरू थया त्यारथी हिंदुओ अने जैनोना अने ते साथे बौधोना उदयना दिवसो अस्त तरफज दोरावा लाग्या अने हजी जो के तेओनो अस्त थवानो बखत पुर्ण नजदीक आव्यो नथी ते छतां एम जणाय छे के ते वखत जलदा आववो जोइए, अथवा एक जुदीज उथल पाथल थई तेओ अस्तनी बाजु तरफथी पाछा वळी उपरनी बाजु तरफ वळवा जोइए. पण अहींआं अमे अमारा बीजा बंधुओ-हिंदुओ अने बौधो माटे नहि बोलीशुं. अमारे जे बोलवानुं छे ते अमारा घोर निद्रामां दाखल थएला, अने हजारो रीति अजमाववा छतां सजागृत नहि थता जैनो माटे छे. . अफसोस ! ते जमानो के ज्यारे जैन धर्मनी जाहोजलालीनी ध्वनि चारे तरफ फरकती हती, ते जमानो के ज्यारे जैन धर्मना असंख्याता अनुयायीओ, चक्रवर्तीओ, राजाओ, साधुओ, अने पंडितो, आ धरतीपर ध्वजा फरकावता हता, ते जमानो के ज्यारे राम, रावण, पांडव, कौरव विगेरे राजाओ, अने ते जमानो, के ज्यारे वीर भगवानना संघाडामां हजारो साधुओ, जेमा ३९ तो राजाओ हता, विचरता हता, ते जमानो वही गयो छे. छेले छेले जगडुशा जेवा कोइ पण सांसारिक जीवमां उदारता माटे मुख्य पंक्ति धराबवा लायक, अने वस्तुपाल, तेजपाल जेवा, दिवानो, तेमज हेमचंद्राचार्य जेवा आ कळिकाळना सर्वज्ञ गणाता, तेमज कुमार पाळ जेवा अहिंसाना परम भक्त, साथी, पण आ जमानामां नजरे पडता नथी. जैन धर्म, असंख्याता वरसो उपर आ भारत भूमिमां, ब्राह्मणोथी, वैष्योथी, भने क्षत्रिओथीज फेलावो पाम्यो
SR No.536503
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1907 Book 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1907
Total Pages428
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size12 MB
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