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________________ १९०७ ] 'डोन्३२त्सनु' 'म'धारणु. [ २७७ रहेशे. बंधारणमां एम पण राखवुं के कोई सवाल सरक्युलरथी पण कमीटी करी शके, पण तेवे प्रसंगे सर्वानुमतेज काम करी शके - बहु मते नहि. सरक्युलरनुं कारण ए छे के तेथी परदेश जवानी महेनत बची जाय. आवी रीते बंधारणना सवाल पर विचार करवानी जरुर छे. अत्र प्रकाश नाख्यो छे ते मात्र अमुक व्यक्तिना विचार छे. ते पर चर्चा करवानी बहु जरुर छे. आगेवान, लेखको अने अधिपतिओ आ विषय पर अजवाळु पाडशे तो ते पर विचार करवानो हजु अवसर छे. दरेक कोन्फरन्स वखते आ सवाल हाथ पर लेवा इच्छा थाय छे, पण वखतना संकोचने ली ते थई शकतुं नथी. प्रथमथी आ सवाल पर विचार चाले तो चोकस आकारमां आवती को फरन्स वखते एक योजना रजु करी शकाय वच्चेना वखतमां आ विषय पर चर्चा करवानी बहु जरुर छे. कोई पण योजना रचवी ए बहु मुश्केल काम नथी पण ते प्रमाणे अमल करवो मुश्केल छे, अने तेथी घणा माणसो योजना करनारने हसी काढे छे, परंतु कार्यक्रम एम छे. प्रथम विचार थाय अने पछीज कार्य थाय छे. विचार करनाराओए व्यवहारु रीते अमलमां आणी शकाय तेवी योजनाओज प्रगट करवी ए खास लक्ष्यमां राखवा लायक हकीकत छे. बंधारणने अंगे बेचार सूक्ष्म हकीकत पर पण ध्यान खेंच उचित लागे छे. कोन्फरन्सना प्रमुखनी चुंटणी - प्रचलित नियम प्रमाणे प्रमुखनी पसंदगी हमेशां ज्यां कोन्फरन्स मळवानी होय त्यांनी रीसेप्शन कमीटीना हाथमां रहे छे, आमां थोडा फेरफारनी जरुर छे. जो अमुक शहेरनी रीसेप्शन कमीटी सर्वानुमते कोई सद्ग्रहस्थने प्रमुख तरीके पसंद करे तो तेमां कोईए बच्चे आववुं नहि छतां चीफ सेक्रेटरोए ते संबंधी पत्र व्यवहार चलावतां पहेलां जनरल सेक्रेटरीनी सलाह लेवी. कोमने खास नुकशाननुं कारण जनरल सेक्रेटरी देखे अथवां बंधारणना मूळ नियमने अडचण करनारुं कारण तेना जोवामां आवे तोज तेणे वच्चे पडवुं. जो रीसेप्शन कमीटीमां मतभेद होय तो उपर जणावेली दरेक प्रोवीन्सनी स्टेन्डींग कमीटीना मत मंगाववा अने तेओना बहु मते जे गृहस्थने पसंद करवामां आवे तेने प्रमुख नीमवा. प्रमुख श्रावकनेज नीमवा प्रमुख संबंधी आटलं लखवानी खास अवश्यकता छे तेथी लख्युं छे. बीजुं कोन्फरन्सनो मेलावडो हाल घणो भव्य थाय छे. परंतु धीमे धीमे ज्यारे कोन्फरन्स पोतानुं बाल्य पसार करी जाय अने लोकोना मनमां एक असर उत्पन्न करनार महान संस्था तरीके पोतानी स्थिति स्थापित करे त्यार पछी तेने भव्यतानी कक्षामांथी लईने उपयोगितानी
SR No.536503
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1907 Book 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1907
Total Pages428
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size12 MB
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