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________________ १४१ १९०७] જૈન સમાચાર सुधारो-इसी पत्रके पुस्तक ३ रे, अंक १ ले, माह जानेवारी सन १९०७ के पेज १८ मे ( मेवाडकी स्थिति ) इस मथाले नीचे जो लेख दिया गया हे उस्की असलीहस्त लिख त नकल महान कागजपर दोनो तर्फ लिखी होनेसे हर्फ ठीक समझमे न आकर कितनीक बातोका फेरफार छप गया है ईस्वास्ते सदरहु लेखकी जगे निम्न लेख समझें. वो लेख संक्षिप्त सुधारा होने लायक नही है. ॥ माल्वेकीस्थिति ॥ गाम बदनावर ( जोकी वडनगरकी पास है ) में दो प्राचीन मंन्दर है एक श्री पार्श्वनाथका हे मूलनायकजी १५४५ के सालका बिगर फणका चमत्कारी हे पहेले कोई सालमे मूलनायकजीकी नासिका खंडत होनेसे अलग रख दियेथे संवत १९५६ की सालमे भादों सुदि ८ अर्धरात्री को मन्दरका द्वार खुलकर बाजे गाजे होते हुवे रोशनी नृत्य गायनके साथ श्री जी व्हांसे चलकर पभाषण परकी प्रतीमाजी दोनु बाजु हठ गई और आप बीचमें विराजमान होगए व नासिकाभी दुरस्त होगई. ये चमत्कार व्हांके सर्व लोगोने देखा. अबभी ऊसमन्दर में श्रीजीका अतीशय अछाहे पभाषणके पास बाजुकी दिवारसे एक प्रतिमाजी कावग्गी शाम पाषाणकी ३ हाथ ऊंची नासिका खंडत बिराजमान हे ॥ पुराने मन्दरोंके पथ्थर गामके मकानो सडक कबर तथा अन्यान्य सर्व स्थलमें लगे हुवेहे कोई मुर्तिसमेतकाभी हे जमीनमेसेभी ईसी किस्मके इन्दर, गीजकादिकी कोरणीवाले पथ्थर निकलते है । शेहरके बाहर एक पुराना जैन मन्दर कोरणीवाला है, ऊस्मे वेश्नवोने महादेव बिठा रखेहे व एक मुर्ति पद्मावतीजी श्रीजी समेत श्याम पाषाणकी १ ॥ हाथ ऊंची बिराजमानहे जिस्पर ॥ ९० ॥ १२२९ वैशाख सुदि ७ सुक्रे श्री सान्तिनाथको मन्दर श्री वद्वेना पुरे कराया ॥ ईत्यादि लेख हे ॥ इस गामके वास्ते कितनेक लोगोका कहना हे के पहले यहां तुंग्या नगरी थी हालमें श्रावकोके १०० घर आसरे हे ता० २७।१२।०६ को मेने वहां जाकर डिरेक्टरी आदिके वास्ते कोशिसकी परन्तु लोग इन बातोसे बिलकुल अनजान होनेसे तारीख २८।१२ की सुभे सभा करके कोनफरेन्सके ठेरावोपर व मुर्तिपूजापर व अपनी अछी स्थिति केसे होवे, व कन्या विक्रयादिपर ठीक २॥ घंटेतक भाषण दिया १०-१२ गामके श्रावक व कितने अन्यधर्मी आदि २५० मनुष्य हाजिरथे परिणाम संतोषकारक आया कन्याविक्रय न करने व दर्शन पुजा आदिका नीयम हुवा लोग हरैक गावसे १-१-२-२ आदमी महा सभामे
SR No.536503
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1907 Book 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1907
Total Pages428
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size12 MB
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