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________________ : १९०६ ? नियमावली - - १२५ तृतीय श्रेणी नागरी-हिन्दी शिक्षावली तृतीय भाग, भाषा. व्याकरण पूर्वाद्ध. धर्म--सामायिक, दर्शन. गणित--पहाडे सम्पूर्ण-गुणन वा भाग. चतुर्थश्रेणी-- नागरी--हिन्दी शिक्षावली चतुर्थ भाग, भाषा व्याकरण उत्तराद्ध. धर्म-पैतीस बोलका थोकडा. गणित-मिश्र चार नियम, लघुतम वा महत्तम. आङ्गल भाषा-स्वरोंकी आवाजे और शब्दोंका वांचना वा लिखना. पञ्चमश्रेणी: संस्कृत-व्याकरण बोध पूर्वार्द्ध. . धर्म-पञ्च प्रतिक्रमण सार्थ अर्द्ध भाग. गणित-भिन्न, त्रैराशिक बहु राशिक. आङ्गल भाषा--किंग रीडर Noun, Adjective, Pronoun और Verb के मुख्य २ प्रथमो ___पयोगी विषयोंमै मौखिक पाठ. षष्ठश्रेणी: संस्कृत--व्याकरणबोध उत्तरार्द्ध. धर्म--पञ्च प्रतिक्रमण सार्थ शेषभाग ....गणित-व्याज साधारण वा व्यवहार गणित... आङ्गल भाषा--लाङ्गमैन्स रीडर प्रथम, आठों पार्टस् आफ स्पीच पर मौखिक शिक्षा. सप्तमश्रेणी संस्कृत-भक्तामर सार्थ, जैनकथा द्वाविंशति, कलाप व्याकरण पाटिंग विभाग, अनुवाद. धर्म-जीवविचार सार्थ गणित-वहीखाता लिखना. आङ्गलभाषा-लाङ्गमैन्स् रीडर द्वितीय, मैन्युअल्पामर चौथा हिस्सा, अनुवाद..... अष्टमश्रेणी_' संस्कृत--सिन्दूरप्रकरण, कलाप व्याकरण पूर्वार्द्ध, अनुवाद. .. धर्म--नवतत्व, दंडक सार्थ • आङ्गलभाषा--लाङ्गमैन्स् रीडर तृतीय मैन्युअल ग्रामर अर्द्ध, अनुवाद. नवमश्रेणी संस्कृत-चन्द्रप्रभकाव्य, कलाप व्याकरण उत्तरार्द्ध गणान्त अनुवाद. धर्म--नयचक्र. आङ्गलभाषा--मिडिलरीडर, मैन्युअल ग्रामर, अनुवाद.
SR No.536502
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1906
Total Pages494
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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