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________________ १९०५] आमलनेर कोन्फरन्स. पडयुं छे. कन्याविक्रय जेवा आभवे अने परभवे दुःखदायक रिवाजो जोवामां आवे छे तेमज बाळलगना लीधे भविष्यनी प्रजा अशक्त अने निरुत्साही उत्पन्न थाय छे. लग्नादि प्रसंगमां हद बाहेर खर्च, संस्कारादि क्रिया अन्य शास्त्रप्रमाणे, मरण पाछळ जमणवारादिकना फाजल खर्च. एने लीधे केटलाएक कुटुंबो आ जन्मसुधी कर्जमां रहे छे. एवा अनेक दुष्ट अने दुःखदायी रिवाजोनुं निकंदन करवू जोईए. आपणा पूर्वजोए बुरानपूर, औरंगाबाद आदि प्राचीन शहेरोमां हजारो रुपीआ खर्ची घणा देरासरो बंधाव्या छे, अने चंद्रपूर आदि गामोना पर्वतोमां गुफाओ कोतरी जिनभुवनो कराव्यां छे, पण कालचक्रना असह्य माराथी. ते स्थळोना मंदिरो अति जीर्णस्थितिमा आवी जई नामशेष थवानो संभव छे. अने केटलाक पर्वतोमां अतिप्रयासे कोतरेलां जिनमंदिरो बीजा लोकोना ताबामां गयां छ बास्ते तेवा स्थळोमां योग्य दुरुस्ती करी आपणा ताबामा लेवानी कोशीश करवी जोईए. ठरावो अमलमां मुकवानो थवो जोईतो प्रयत्न. बंधुओ ! बोलीने बेशी रहेवान नथी पण जे जे कांई कहेवाय तेने अमलमां मुकवामां आवे तेम थवामां आ मेलावडा, सार्थक छे. ते केवी रीते अमलमां मुकाय ते बाबतनो विचार करवा हुं ईशारो करुंछु. • दक्षिणप्रान्तिक कोन्फरन्सनी आ प्रथम अने पहेली बेठक छे. आवो मेलावडो आमलनेरमां भरवानी जे गोठवण करवामां आवी छे, तथा तेनी पाछळ जे सामग्री पूरी पाडवामां आवी छे तेमां जे गृहस्थोए पोतानो धंधो छोडी रातदिवस जाते मेहनत करी छे तेवा भाईओनी उमदा लागणाथी आ मेलावडाकाम पार पडेलु मानिए छीए, अने मरहुम शेठ सखारामभाई दुल्लभदास धुळीयावाळाना प्रयासथी मुनिराजोनो विहार आ भागमा थवाथी आवा प्रकारना शुभकार्यो करवानी लोकोना अंतःकरणमां प्रेरणा थई छे. प्रियबंधुओ ! आ कोन्फरन्समां चर्चवाना विषयो विगेरेनो निर्णय करनारी कमिटी आगळ रुजु करवा सारं अहिंयाना स्वागतमंडले जे यादी तैयार करी छे ते संबन्धे कांई खुलासो करवानी जरुर छे. महान् कोन्फरन्समां चर्चायेला विषयो एवा गंभीर छे के आपणे हाथे धरेला सघळा विषयोनो तेमां समावेश थायछे. पण तेमां मुख्य केळवणी आ सर्वन मूळ होवाथी ते उपर वधारे उहापोह थई शके अने. प्रान्तिक सभानु स्थैर्य केवी रीते कायम रहे ए बाबत वधारे विचार करवानी जरूर छे. . मित्रो, महाराष्ट्रना बीजा शहरोनी जैनवस्तीना प्रमाणमां अहिंनी जैनवस्ती बहुज थोडी छे. ते जोतां अमे महाराष्ट्र संघने आमंत्रण करवानी हिंमतज करी शकीए नहीं. परंतु श्रीममुनिवर अमरविजय महाराजना उपदेशथी अने योग्य सलाहथी अने शा. भागचंद छगनदासना अविश्रान्त प्रयासथी अमो आ शक्ति बाहेरनुं कार्य उपाडी शक्या छीए. मानवन्ता प्रतिनिधी साहेबो, मार अत्रे जणाव_ जोईए के महत्वनी धार्मिक बाबतोमां हमेश अमारी जोडे रहीने काम लेनारा अमारा शिरसाला, बहादरपुरा धुळीआ विगेरेना जैनभाईओ पण आपणुं स्वागत करवामां सामिल थयाछे. हवे आप साहेबोना सत्कार माटे अमे यत्किचित् योजना करी छे, तेमां जे न्यूनता लागे ते दर गुजर करशो एवी नम्र विज्ञप्ति करुंछु. बंधुओ, म्हारे केहेवार्नु टुंकमां कयुं छे. आपणे अगत्यनी बाबतो पर, आपणा आ भवना तथा परभवना हितनी बाबतो उपर, आपणुं तथा आपणी भविष्यनी ओलादनुं हित थाय तेवी बाबतो उपर आपणे विचार करवानो छे तेवा पुण्यरूप मेलावडामां आपे भाग लीधो छे तेथी फरीने अत्रेना संघ तरफथी आपने हुँ हर्ष भर्यो आवकार आपुंछु.
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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