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________________ ७२ ऑगष्ट ऑगष्टं जैन कोनफरन्स होल्ड. करुणा फेले जगतमें, हिंसा पंथ मिट जाय: ।। । ' तज अभक्ष्य कर शोधना, भक्ष्य होय सो खाय. अब समस्त मुनिराज सुन, सबिनय बिनय हमार; सफळ होय संसारमें, सन्तत करें बिहार. १७ १८ समाचार संग्रह. पालीताणा केसका फैसलाः-सुना जाता है कि गत माप्तमें काठियाराडके आनेरबिल एजंट टू धी गवर्नर साहिबनें इस केसमें यह फैसला दिया है कि आगामी कालमें शत्रुजय महा तीर्थ पर जूता पहन कर या बीडी पीता हुवा या हथियार लेकर कोई न जा सके. सेठ लालभाई:-अहमदावाद निवासी विख्यात कोनफरन्सके जनरल सैकैटरी सेठ लालभाई दलपतभाई कुछ अरसेसे हार्ट डिजीजसे बीमार थे अब अच्छे हुवे हैं. हमारी दिली खुवाहिश है कि यह सेठ कोनफरन्सका काम करनेके लिये लम्बी आरोग्य आयष भोगो. ___चार मासका तपः- भाणपुर जिला झालावाडमें मुनि श्री राम विजयजीके शिष्य मुनि श्री तीर्थ विजयनीने कि जिनकी उम्र ५० सालकी है छाछ पीकर उनोदरी पतचरा मासका किया है.. बेहरा जिला पंजाबमें एक मन्दिर है परन्तु श्वेताम्बर जैनियोंका घर एक भी नहीं है. बेहराके मन्दिरमें पूजा- पहिले पिंडदादनखांके श्रावकोंने एक पूजारी भेजा था वह रीकी आवश्यक्ता. अब मर गया वहांपर पूजारीकी आवश्यक्ता है. बगैर पूजारी मन्दिर बंद पडा है. कोनफरन्सकी तरफसे पूजारी मिलने पर भेजा जा सकता है. पंजाबके खंडेलवाल जैनिः-कुल पंजाबमें खंडेलवाला नैनियोके ८० वर हैं उनमें मर्द औरत करीब २०० हैं जिसमें ७५ व्याहे हुवे हैं और १२६ कुंवारे है. प्लेगके सबबसे कई घर उजड़ गये. अब इन कुंवारोंका सगार्थ नहीं मिलता इस कारण इनमेंसे कई एक आर्य समानी, ब्रह्म समाजी हो गये हैं. अगर पंजाबमें या और किसी प्रान्तमें इनका सगार्थ नहीं हुवा तो यह लोग जैन धर्मको छोड कर अन्य धर्म अंगीकार करनेमें तामुल नहीं करेंगे. मुंबईमें जैन बोर्डीग-मुंबई निवाशी शेठ गोकुलभाई मुलचंदकी जीनाने बीनारस पाठशालाके लीये मकान खरीदनेमें भारी मदद दी है उन्होनें मुंबई शहरमें एक जैन बोर्डीग स्थापन करनेके लीये जो कोनफरन्सकी तरफसे रु. २५००० की मदद दी जावे तो अपनी तरफसे रु. ७५००० देनेकी अपनी खुशी प्रगट की है ईन शरतसें की उक्त बोडौंगका नांव शेठ गोकुलभाई मुलचंद रखाजावे. कोनफरन्सके जनरल सेक्रेटरीओंने अपनी पासके फंडमेंसे रु. २५००० देनेकी अपनी राय प्रगट की है.
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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