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________________ २४४ जैन कोनफरन्स हेरेल्ड. [जुलई एक गुजराती नाटक कंपनी गुजरातमा खेलो भजवी शके छे, मराठी कंपनीओ दक्षिणमांज फावे छे. त्यारे हिंदी-उरदु नाटक कंपनीओ हिंदुस्तानना एक छेडाथी बीजा छेडा सुधी फरीने दरेक रीते फतेहमंद थाय छे. __मुंबईमां स्थपायलां परमश्रुत प्रभावक मंडळ तरफथी " रायचंद्र जैन शास्त्रमाळा" दर 'बे महीने छपाववानुं शरू करवामां आव्युंछे. मुंबईनी भाषा गुजराती छतां ए शास्त्रमाळानो प्रचार आखा देशमां थई शके ते हेतुथी हिंदी भाषामां छपाववानु स्तुत्य पगलु ए मंडळे भरी हिंदी जेवी सामान्य भाषानी बलके आखा हिंदनी अमूल्य सेवा बजाववा मांडी छे. मुंबईनी जैन कॉन्फरन्से पोतानो लांबो रीपोर्ट गुजराती अक्षरोमां न छपावतां बालबोध-नागरी लीपीमा छपावी हिंदमां वस्ता दरेक भागना जैनोने वांचवामां सहेलाई करी आपी छे अने उमेद राखवामां आवे छे के भविष्यमा ए कॉनफरन्सना रीपोर्टो हिंदी भाषा अने बालबोध लीपीमा छपावी हिंदना तमाम जैनोने एकत्र करवानुं पगलं भरशे! बालबोध अक्षरो यांचवानो महावरो पण केटलाक जैनोने नथी तेओ आवी पद्धतिने कदाच शरुआतमा पसंद नहीं करे पण बालबोध लीपीना ज्ञानने अभावे ते भाईओ धणांखर जैन पुस्तको के जे वालबोव हीपीमां छपायलां छे, ते वांचवाथी बेनसीब रही ज्ञानांतराय थायछेतेओ धीमेधीमे बालबोध लीपी वांचवी शरू करशे तो घणा थोडा समयमां तेनो लाभ उठाची शकशे. जेम हिंदी भाषामां मंडा अक्षरने नाम ओलग्वाता अक्षरो वेपारी वर्ग विशेष करीने उपयोगमा ले छे, तेज मुजब गुजराती लीपी पण बालबोध अथवा प्राकृत हती पण सहेलाईथी अने झडपथी लखी शकाय ते माटे वेपारी-वणिक वर्गे गुजराती अक्षरोनी वेपारी लीपी उत्पन्न करी हती अने तेनो प्रचार पारसी छापावालाओए प्रथम करत्राथी हवे ते गुजरातनी सामान्य लीपी थई पडी छे. हिंदी भाषानो प्रचार विशेष करवानो आ लेखनो उद्देश छे. आ लेख गुजराती भाषा अने बालबोध लीपीमां लखवानो हेतु मात्र ए छे के गुजरात अने दक्षिण वासी गृहस्थोने हिंदी भाषाना प्रचार माटे प्रयास करवानो छे; अने तेथी शरूआतमां तेओ पोतानी भाषामा सुगम . ताथी समजी शके. - आ रीते जोतां हिंदी भाषानो प्रचार विशेष करवाने माटे जे हिंदमां एकत्र प्रजा थवानी उमेद राखे छे, जेने स्वदेशाभिमान छ अने. उन्नतिनी दाझ हैडे कोतरायली छे,. रेवा दरेक हिंदीए उत्सुक थर्बु जोईए
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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