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________________ ____पालीताणाके ठाकुरसाहेब के अनुचित बरताव की सरफ जो अफसोस प्रगट किया गया है यह उनके बरताव का नतीजा है. महा पवित्र तिर्थपर अशातना करके जैनियोंको तरह तरह की तकलीफ पहुंचाने का अभिप्राय अच्छा नहीं है आशा की जाती है कि ठाकुरसाहेब इस बात की तरफ ध्यान देकर जल्दी सुधारा करेंगे. ___ इस सभाकी फत्तेह और कामयाबीका कारण आप सब साहबोंका सम्प और भ्रातृभाव है. पेथापुरनिवासी जैन समाजने और खास करके वालंटियरोंने तथा अन्य २ कमिटीयोंके मेंम्बरोंने पूरा श्रम उठा कर जैन समाजके हितकी वृद्धि की है इस वास्ते आप सब साहेबोंको धन्यवाद देते हुवे और श्री आदेश्वर भगवान की जय बोलते हुवे इस सभाके जलसे को विसर्जन करता हूं और आशा करता हूं कि आप लोग बचनोंसे कई दरजे जियादा कार्यवाहीमे अपना प्राकृम दिखलावैगे. त्यार बाद प्रभु स्तुतीनां तेमज बीजां गायनो गवाया पछी पांच कन्याओंए प्रमुख साहेबने फूलो वडे वधाव्या हता अने ते पछी जयजीनेंद्र बोलावी प्रमुख साहेब तरफथी कोनफरन्सन कार्य समाप्त थयेलु जाहेर करवामां आव्यु हतुं. स्फुट विचार. (लखनार.-असिस्टंट सेक्रेटरी-श्री जैन श्वेताम्बर कोन्फरन्स-मुंबई.) मुंबई, अमदावाद, जेपुर अने कलकत्तानी कॉन्फरन्सनी ऑफिसो तरफथी कॉन्फरन्सना जुदा जुदा हेतुओ पार पाडवा सारु बनतुं करवामां आवे छे. मुंबईनी ओफिस आ कॉन्फरन्स तरफथी मासिक चलाववा उपरांत समग्र हिंदुस्ताननी जैन डिरेक्टरी करवाना हालमा करवाना वा काममां रोकाई छे अने ते शिवाय जीवदया, केळवणी, जिर्णोद्धार अने कामकाज. साधारण स्थितीना भाईओने मदद आपवा उपर पण ध्यान राखे छे. जीवदयानी बाबतमा जुदी जुदी पांजरापोळोने रोकड रकमनी मददो आपवाने बदले जीवदयानो फेलावो करवानो मार्ग विशेष पसंद करवामां आव्यो छे अने तेने माटे जीवदयाना जाणीता उपदेशक मि० लाभशंकर लक्ष्मीदासने तेओ जे काम करे छे तेमां साह्यता आपवा सारु आ वर्षे रु. २५०) नी मदद आपवामां आवी छे तेमज तेमनी सलाहथी विलायतनी वैद्यक कॉलेजोना विद्यार्थीओमां इनामो आपी आ ज्ञाननो फेलावो करवा सारु रु. ६४४-३-० आ वर्षमां मोकली आपवामां आव्या छे अने जेनें सारं परिणाम आववानी आशा रहे छे. आ साथे जाणवू जरुरतुं थई पडशे के जो कोई ठेकाणे पांजरापोळमां घीज अगत्यता जोवामां आवे तो त्यां पण मदद करवामां आवे छे अने ते प्रमाणे आ वर्ष दरम्यान रु. १०१) काठिआवाडमां आवेला बजाणा गामनी पांजरापोळने मदद अर्थे मोकली आपवामां आव्या हता. जीर्ण मंदिरोद्धारनी बावतमा हालमां अत्रेना आगेवान देरासरो तथा आपणी एकत्र मददथी मेवाडमां आवेलां जीर्ण मंदिरोनो उद्धार कराववामां आवे छे अने ते पाटणवाळा परोपकारी गृहस्थ मि. लल्लुभाई जेचंद के जेओ पोताना अमुल्य वस्त्रत अने जात मेहेनतना भोगे खुद पोते त्यां रहीने काम करे छे तेमनी मार्फते चाले छे. आ संबंधमां अमारी पासे देशना जुदा जुदा
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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