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जैन कोनकम्स इरैल्ड.
[ जून
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य! सुखी पुत्रोने माटे ते झुं शरम भर्यु नथी ? ते सुखी पुत्रोए वधारे नहीं तो तेओने जमाडवामा तो ढलि करवी न जोईए. आ जणाववानी मतलब शुं छे ? बंधुओ, आपणां घणां देरासरो पैसेथी भरपुर छे. मोटा मोटा वहीवटो चाले छे अने चालु उपज जबरी होवा छतां, तेओनी नजीकना बीजां देरासरोने केसर सुखड पण न मले ते शुं ओखुं शोकजनक छे ? अरे ! दिलगिरी साथै जणाववुं पडे छे के केटलीक जगाए अपुज प्रतिमाओ रहे छे. देरासरमां सेंकडो मण कचरो - गंदकी पण होय छे ! अने एवीज बीजी अव्यवस्था माटे शुं आपणां जाहोजलाली भोगवतां मंदिरो, तेना व्यवस्थापको हजु पण प्रमादमां रहेवुं ठीक समजशे ? टीप करवानुं में जणाव्युं ते एकला जैनमांथी नहीं पण दरेक देरासरोमांथी पण योग्य फाळो मलवो जोइए. तेना माटे दरेक गामवालाओए भेगा मळी देरासरोनी पुंजी ने आवकना प्रमाणमां एक वरसमां अमुक सारी रकम कहाडवी जोइए अने बनी शके तो पोतानी देखरेख नीचे जिर्णोद्धारनुं काम त्वराथी चलाववुं जोइए. वितरागवाणी पुस्तकोथी जाणी शकाय छे तेमज परमात्मा स्वरुप जाणी शकवाने माटे प्रतिमा कारणरूप छे अने प्रतिमा स्वरुप जाणी शकवाथी आपणा आत्मानुं कार्य सफळ थाय छे, मोक्ष गतीने माटे लायक थवाय छे अने एवां कारणो करी आपणा पूर्वजोए करोडो रुपीआ खर्ची भव्य मंदिरो बनावेलां छे. हिंदुस्थानमां लगभग ३६००० जिन मंदिरो गणाय छे अने तेमांना घणां जीर्ण स्थिति भोगवे छे तो जैन समाजनुं कर्तव्य छे के तेनो सुधारो करे, पुजा विगेरे व्यवस्थानो बंदोबस्त करे.
सुज्ञ गृहस्थो, सामान्य जैनो करतां समजु विद्वान अग्रेसरोने माथे लाख घणो बोजो कर्तव्य समृद्धि तमने प्राप्त थई छे तेनो सदुपयोग करवानी जरुर छे. आव्या तेवाज वगर भाताए चाल्या जवानुं छे.
बाववानो छे. पूर्व पुण्यना उदयथी जे छती शक्ति नहीं फोरवशो तो याद राखवा जरुर छे के जिंदगी सदाकाळ रहेती नथी. रिद्धी साथे आवती नथी, पण सत्कृत्य दुष्कृत्यज साथै आवे छे.. जो तमोने जैनीपणानुं अभिमान होय, तमारा धर्मनी तमोने लागणी होय तो तमारी लायकातनो सदुपयोग करो. संपत्ति परोपकार माटेज छे एम समजो. जेणे पोतानी शक्तीनो सदुपयोग कर्यो छे तेनाज नामो शास्त्रोमां, इतिहासमां अने ज्ञानीओना मुखे आप्यां छे. आजे कोई द्रव्यवान, ज्ञानवान, बुद्धिवान जणाय पण सृष्टीना स्वभाव अने काळने लीधे बीजाओ तेनी जग्या ले ते वखते जगतमां हता न हता थई जशे . पण योग्यता मुजब कार्यो करी जशो तो प्रजामां तमारुं गुणगान थयां करशे, नहीं तो कोई याद पण करशे नहीं. द्रव्यवान द्रव्य खर्चशे पण ज्ञानना अभावे अनुपयोगी जेवुं छे. जेम विद्वानो के भाषणकार वक्ताओ लांबा भाषण करशे पण द्रव्यवान सांभलशे नहीं, तो जंगलमां बुम पडवा जेवुं थशे. माटे एक बीजानी सहायतानी जरुर छे. हमे प्रमुख, हमे सेक्रेटरी, हमे अमुक अध्धेदार एम थवाथी कई मोटाई नथी, पण ते कामना ओधानी सार्थकता करवाथी मोटाई छे ते भुली जवं जोईतुं नथी. अंते परमात्मा प्रत्ये आपणे प्रार्थना करशुं के आपणे सर्वे दुराग्रहने न वळगी रहेतां बुद्धिमानोना मार्ग तरफ प्रयाण करीए अने कर्तव्यनी बुद्धि आपणामां दिवसे दिवसे वृद्धि पामे. छेवटे जणाववा रजा ईश के, आपणे कॉन्फरन्सना ठरावो अमलमां आणवा, आपणी न्यातोना पंचोए धारानो भंग न थाय तेवा खास धारा घडी आपणी आ सर्वे महेनत बर लाववी जोइए अने तेम थशे त्यारेज खरेखर आपणो उदय थई शकशे.
शेठ नानचंद भगवानदासे टेकामां जणाव्युं के जिणोद्धार करवो ए जरुरनुं छे. नवां मंदिरो