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पेथापुर कॉन्फरन्स..
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दया करवी,
नीतिनो पायो धर्म उपर रचायलो छे; धर्म विना नीति टकी शके नहि. नीतिना प्रश्ननो आधार सघळा आत्माने अक सरखो छे. अ धार्मीक सिद्धांतपर रहेलो छे. जेम शररिने टकाववा खोराकनी जरूर छे तेम आत्मोन्नतिने वास्ते धार्मीक केळवणीनी जरूर छे. अतींद्रिय वस्तुओं संबंधीनुं ज्ञान आपणने धर्मथी मळे छे. अने तेथी घणा प्रश्नोनुं समाधान थइ जाय छे अने आपणुं इष्टमां इष्ट कर्तव्य बजाववा आपणे शक्तिवान थइओ छीओ.. फक्त प्रतिक्रमण के तेनो अर्थ जाणवामां धार्मीक केळवणी समाइ जती नथी. ते पण जरूरनुं छे पण तेनी साथे जैन धर्मनां तत्वो जेमां रहेलां होय तेवा पुस्तको प्रगट करवानी जरूर छे के जे वांचवाथी भणनारना वर्तन चारित्र उपर असर थाय अने तेथी तेओ शुद्ध रीते जीवन व्यवहार चलावी शके.
आवी चार प्रकारनी केळवणी मनुष्यने मळे तो थोडा रत्नो पाके के जेओ पोताना उपदेशथी तथा आचारथी थोडा धार्मीक स्थीति सुधारी शके.
समयमां जैन समुदायमा सेवा नर समयमां जैनोनी सांसारीक तथा
पुरुषोने आवी केळवणी मळे तेथी बस नथी. स्त्रीओने पण केळवणीनी जरूर छे. रथनुं ओक पैडुं बगडेलुं होय तो रथ चाली शके नहि. तेम स्त्रीओ अभण होय तो जे हानिकारक वाज आपणे दुर करवा मागीओ छीओ ते कदापि दूर थाय नहि. माटे स्त्रीकेळवणीनी आवश्यकता छे. स्त्रीओने कांइ डीग्रीओ मेळववानी जरूर नथी. पण जेथी तेओ सुशील बेहनो, माताओ, गृहीणीओ थाय, पोतानुं गृहकार्य यथायोग्य करी शके, धर्मनुं ज्ञान प्राप्त करे, रांधता, शीवता, गुंथता आवडे, तेवी केळवणीनी जरूर छे. केळवणीथी तेओनुं वर्तन उच्च प्रकार दुष्ट बाजो स्वयंमेव नाश पामशे वधारे आ संबंधमां बोलवानुं हतुं पण वखत ओने केळववाने शाळाओ स्थापवानी दरखास्तने अनुमोदन आपी हुं बेसवानी रजा लऊं
थशे अने
जवाथी
मि. केशवलाल अमथाशानुं भाषण.
आपना
मारा केटलाक मित्रोने लीधे मने मळेला अंगत अनुभव उपरथी हुं कही शकुं छं के, स्वधर्मी विद्यार्थीओने माटे अलग गोठवणो नहीं होवाथी तेमने अन्यधर्मीओ साथै सहवास राखवो पडतो होवाने लीधे रात्रीभोजन तथा कंदमुळ आहार वगेरे करवां पडे छे, आ कारणने लीघे बोरडींग हाउसनी घणी जरूर छे. केळवणी एक उत्तममां उत्तम आभुषण तेमज आ विकट संसारसागरमांथी तरवाने माटे मनुष्यने वहाण समान छे माटे केळवणी जेम बने तेम वधारवी. जेवी रीते एक जंगलनुं लाकडुं पण केळववाथी केवुं सारूं अने शोभितुं बने छे के जे मनुष्य जेवा प्राणीनी जिंदगी ने बचावनार अने टकावनार थई पडे छे, तो माणस के जेनी अंदर ज्ञान छे तेने केळववाथी केवो सारो
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अने उपयोगी थई पडे. केळवणी वगरनुं मनुष्य जीवन फोकट छे, माटे केळवणी जे जे साधनोथी जैन बालको तेमज युवानोमां मोटा प्रमाणमां विस्तार पामे तेवा साधनो योजवा दरेक जैन बंधुनी अने खास करीने श्रीमंत जैन बंधुओनी फरज छे. केळवणी केटली बधी उपयोगी अने लाभ कर्ता छे ते आगल बतावी आपवामां आव्युं छे. माटे ते उपर वधारे विवेचन करवानी जरूर नथी तेथी हवे हुं मुल साधन उपर आवीश. आपणा राज्यकर्तीनी भाषा अंग्रेजी छे ते भाषा तथा तेनी साथे वीजा विषयोनो अभ्यास करवाने माटे नाना गामडाना विद्यार्थीओने मोटा शहरमा रहेवानी जरूर पडे छे. तेवा