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જૈન યુગ
तi. १५-2-34
.. (गणीनु ध्येय-मनु. ५ा. 121) કે જયારે પિતાની કિંમતનું માપ તે બહારનું સ્વીકારવાને બદલે અંતરનું સ્વીકાર થાય, જયારે તે બીજાના વખાણ પર આધાર રાખવાને બદલે પિતાના અંતરા-માના અભિપ્રાય ઉપર આધાર રાખે થાય. એટલે કેળવણીનું સહુથી મહત્વનું અંગ સંકઃપશકિતમાં રહેલું છે, ખરે કેળવણી પામેલે માણસ, પછી તે રાય હોય કે રંક, એ છે કે જે પિતા ધર્મ ઓળખતાં શીખે છે. તે આચરી શકે એટલી જેની સઘળી શક્તિ કેળવાઈ છે અને વિકાસ પામી છે. આ છે સંપૂર્ણતાનો આદર્શ.. પણ
દશે ચીજ જ એવી છે કે તેને પરિપૂર્ણતાએ ન પામી શકાય. જેટલે દરજજે માણસ તેને પહોંચે એટલે દરવાજે એ કેળવાયેલે.
नदिदा परिम-'प्रत्यान'माथा]
(प्रवारकार्य रिपोर्ट-अनु. पा. ८ थी) . महावीरजी-(चान्दनगांव) यह पटोंदा मे चार माइलपर नमरा-यहां पल्लीवाल ताम्बरों के घर है, मन्दिरजी एक तीर्थ है जो कि जोधराजजी दीवान पल्लीबालने बनवाया नहीं है, मनुष्यगणना की गई व फार्म भरवाया गया। इस था, यात्री नित्य प्रति आते रहते हैं। क्षेत्र और प्रान्तमें विद्याकी बहुतही कमी पाई गई, बेकारी भी बहुत अधिक है. कार्तिकमें बड़ा भारी मेला होता है, हजारों यात्री आते हैं. भारडा-यहां भी तांबरों के इस समय ५.६ घर हैं,
कई मरम्मतें हो रही है, नये रोगन, वेलबुट बन रहे हैं, कुछ समय पहिले यहाँपर ४० के लगभग घर मौजूद थे, यहांपर जिनपर नये नये नाम लिखे जा रहे है और दिगम्बर चिह्न मन्दिर भी मौजूद है। मूर्तियां पाषाणकी व धातुकी १ इस बनाये जा रहे हैं!
प्रकार कुल सात मूर्तियां हैं। पजन अन्य स्थानोंकी अपेक्षा दो नई धर्मशाला भी बनवाई गई है, और तीसरी अच्छी तरह होता है, भल भी कम है, खसच यहां भी भेजने इस समय बन रही है। चौथीकी योजना है
चाहिये। बर्तन कवल तीन घई ये 1 थाली १ कटोरी १ प्याला. - इधर उधर के गांवोंसे भी कई मन्दिर यहाँपर लाये गये यहां बर्तन बहुत कम है यह अवश्य भेजने चाहिये । हैं, जिनमें कई खड़ी हुई नग्न मूर्तियां भी हैं।
अज्ञानता के कारण यहां के लोगोंने कपडपरसे उतरी हुई तस्वी. अभी तक एक मूर्तिपर पूजन श्रेताम्बर विधिसे होता है, शीशामें जडवाकर भगवान के आगे लटकाई हुई थीं जो कि इस पर फल चढते हैं। परन्तु अन्य विधि न जाननेसे पूर्णतया उतरवा दी गई। यहां के लोगों ने एक धर्मशाला भाग्डा-हिण्डौन के श्वेताम्बर विधिसे नहीं होता।
... दान ७०० रु. से एक कुआ व तलाव था जो अधूरा पड़ा शेखपुरा-यहांपर पल्लीवालों के ९ घर श्वेताम्बर है, है तालचनी मौजूद है जो कि गलानी बाकी है। खराब होने पर मन्दिरजी नहीं है, यद्यपि इनके लिये मन्दिरका सम्बन्ध रोडोलीमे कहीं का भी प्रबन्ध ठीक नहीं है। है, परन्तु यह महावीरजी ही जाते हैं, फूट अधिक है. ९ . मन्दिरजीमें भी जीगोंद्धारको आवश्यक्ता है बाहर के घरोंमें चार पार्टियां हैं, मनुष्यगणना की गई, और रातको सब नीचे के हिस्से बहुत जीणे हो रहे है। मन्दिरकी आमदन कुछ भाइयों को इकठा करके भाषण कीया गया.
. रांडोली-यहांपर पल्लीवाल ताम्बों के में घर है यहां के मन्दिर के साथ निम्नलिखित' गांव लगते है, मन्दिरजी मौजूद है, २ मृति पाषाण व २ मूर्ति सर्वधातकी है. जहां लोग पर्थषण आदिमें आते है. सुना गया है कि पूजन नित्य नहीं होता. पूजाका प्रबन्ध ठीक परगवां, खटिया, नगला, अलीपुरा, बहरा. फलनाबाद, नहीं, मूर्तिपर मैल अधिक है, मन्दिरकी हालत भी बिल्कुल पीपडहेडा, चारदा । रात को सभी भाइयों की इा कर भाषण खराब है, चार तरफ बुरी दशामें है, यहकि लोग मूर्तियों को दिया गया. महावीरजी भंजनकी इच्छा रखते हैं. उन्हें पूजनविधि बतलाई मन्दिरजीमें नित्य दर्शन के लिये आने तथा पुजनविधि गई, पूजन के कुछ उपकरणमे गजनेसे उत्साह बंटी, और आदि कई बातें बताई। मन्दिर कायम रखेंगे, खसकुची आदि उपकरण अवश्य भेजनी २०-१-३५ को भरतपुर पचा और २५ ता. तक रहा चाहिये । अन्य ३-४ बर्तन है थाली १ तश्तरी १ कटोरी रहा, सेठ जवाहरलालजी के आजान पर दफ्तरका कार्य किया प्याला १ कुछ बर्तन भी भेज देने चाहिये, जी गोदार के लिये गया, और कई आवश्यक बातें तय की गई। यहांसे , अब विचार किया जाये।
भंडावर प्रान्त को जा रहा हूं। स्टेन्डिंग कमिटी के सभ्यों को विनंति. . कॉस्फरन्सक बंधारणानुसार जिन सम्मान में. १९९१ केवल भण्डार फटका बदा-कम अज कम F. .) न भिजाया हो व कृपया चाल माम अंत तक अवश्य मिला देखें।
श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स ., पीथा: मेन्शन, शम्खमेमण स्ट्रोट...
बंबई नं. २. .