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________________ P जैन युग. वीर संवत् २४५७. हिन्दी विभाग. ता. १-१-३१. श्री जैन श्वेताम्बर कॉन्फरन्स मारवाड ३ इस प्रांतकी उपयोगी संस्थाओ के निभाव के वास्ते स्यायी फंड नहीं होनेसे संस्थाओ के प्रान्तिक समितिका अधिवेशन. उद्देश पूरे नहीं होते हैं इसलिए लग्न प्रसंग पर दोनो पक्ष वाले ( वर और वधु पक्ष) पांच पांच आज मिती पोप वदी १० ता. १५-१२-३० रुपये इस संस्थाओ में देखें ऐसे प्रत्येक गांव के सोमवार के दिन दुपहार को एक बजे श्री जैन श्वेता संघ को यह सभा भलामण करती है। म्बर कोन्फरन्स मारवाड प्रान्तिक समीति की जनरल ४ इस प्रांतमें लग्न प्रसंग पर प्रत्येक गांव में खर्च मीटिंग श्री वरकाणा तीर्थ में की गई। अधिक बढ गये हैं जिसका अब चलना कठिन प्रथम मंगलाचरण के बाद प्रान्तिक सेक्रेटरी है, इसलिए रेशमी वस्त्र बनवाकर उस पर धोरे ने मीटिंग के कार्य को शुरु करने के लिए प्रेसीडेन्ट आदि लगाने के रिवाज वर्वथा उठाने को यह चुनने की दरखास्त रखी। सभा भलामण करती है। श्रीमान् चुन्नीलाल गोमाजीने प्रेसीडेन्ट के लिए ५ इस प्रांत में टाणा मौसर करने का बहुत रिवाज श्रीमान् समरथमलजी वकील चुनने के लिए दर है और जिस में हजारो रुपये प्रति वर्ष प्रत्येक खास्त रखी। बाद अनुमोदन के सर्वानुमतसे पास गांव को खर्च होते है। जिसका लाभ समाज को होने बाद आपको उक्त पद स्वीकार करने के लिए कुछ नही होता है। इसलिए प्रत्येक गांव के कहा गया। तत्पश्चात् आपने उस पदको स्वीकार नेताओ को निवेदन है कि वे इस प्रथा को सकिया और मीटिंग का काम शुरु किया गया। र्वथा बन्द करें. और अमानुपिक खानपानको लोलु पतामें पडकर समाज का द्रव्य नाश न करें। प्रस्ताव. इस प्रस्ताव की एक एक कोपो मारवाड के १ आज जैन श्वेताम्बर प्रांतिक कोन्फरन्स मु. वर- हरएक गांव में भेजी जावे। काणे में एकत्रित हो सर्वानुमतसे प्रस्ताव करती ६ इस प्रांतमें कन्या विक्रय को प्रथा दिन परदिन है कि आयू देलवाडा तीर्थ पर मुण्डका सम्बन्धी बढती जाती है और यही हमारे अस्तका कारण साप्ताहिक अनुचितकर बिठाने के समाचार है। इसलिए इस प्रथा को प्रत्येक गांवमें से उठा वर्तमानपत्रों द्वारा मालूम होनेसे यह सभा देने के लिये यह सभा वहां के आगेवानांसे अत्यन्त खेद पूर्वक विरोध प्रकट करती है । और आग्रह करती है। श्रीमान् सिरोही महाराजा साहिब को नम्रता ७सगाई सम्बन्ध में डोरा आदिती जो प्रथा है पूर्वक यह कोन्फरन्स प्रार्थना करती है कि वोभी सर्वथा उठा देनेको यह सभा भलामण ऐसे वनुचित यात्री टेक्स जैन समाज पर न करती है। लगाया जाय। इस विषय में सिरोही की तरफसे ८ इस प्रांतमें स्त्री शिक्षणका प्रायः अभावसाही है यदि जल्दीही सन्तोष पूर्वक समाधानी न की इसलिए प्रत्येक गांव में कन्याशालायें शीघ्रही जायगी तो जैन समाज को अन्य उपायों का स्थापित करनेका प्रत्येक गांव के नेताओसे शरण स्वीकारना पडेगा। निवेदन है। (मनुभधान ५ ७ ७५२. ) २ इस प्रांतमें जैन श्वेताम्बर तीर्थों और मंदिरों की - Printed by Mansukhlal Hiralal at Jain अवस्था बहुत शोचनीय होती जाती है इसलिए Bhaskaroday P. Press, Dhunji Street, Bombay उनलेवासोते स मारोप and published br Harilal N. Mankur for Shri Jain Swetamber Conference at 20 प्रांतिक तीर्थ कमीटि नियुक्त करना चाहिये। Pydhoni, Bombay 3..
SR No.536271
Book TitleJain Yug 1931
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarilal N Mankad
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1931
Total Pages176
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Yug, & India
File Size12 MB
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