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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org - हैं, अब उन पर विचार करें। उपर से विष्णु के कटि भाग तक आठ पंक्तियों में विष्णु की और मुख किए पच्चीस आवक्ष देव-आकृतियाँ इस प्रकार हैं उपर पहली पंक्ति में तीन, दूसरी से पाँचवी पंक्ति तक प्रत्येक में चार-चार और छठ्ठी से आठवीं पंक्ति तक प्रत्येक में दो-दो । ये सभी आकृतियाँ वस्तुतः चार फलकों में इस प्रकार विभक्त हैं- प्रथम फलक की तीन पंक्तियों में ग्यारह, दूसरे फलक की दो पंक्तियों में आठ, तीसरे फलक की दो पंक्तियों में चार तथा चौथे फलक की एक पंक्ति में दो आकृतियाँ । उपरी दो फलकों की ग्यारह और आठ आकृतियाँ जटाजूटधारी और अंजलिमुद्रा में हैं । इन्हें एकादश रुद्र और आठ वसु माना जा सकता हैं। तीसरे फलक की चार आकृतियाँ चार लोकपालो की हैं । उपर की दो किरीटधारी तथा नीचे की जटाजूटधारी हैं। ऊपर किनारे वाली दण्डधर आकृति यम की तथा दूसरी पुष्प और वज्रधर इन्द्र की है। नीचे पाशधारी आकृति वरुण की और नकुलक (थैली) लिए कुबेर की है। चारो लोकपालों की यह पहचान प्रो. कृष्णदेव ने की है। नीचे वाली अन्य दो आकृतियाँ यद्यपि अश्वमुखीन होकर सामान्य मानवमुखी हैं तथापि स्थान - विशेष के कारण उन्हें अश्विनीकुमार स्वीकार किया जा सकता हैं विष्णु की कटि के नीचे नागपुरुष के उपर अंतरिक्ष में उड़ती हुयी भूदेवी तथा पीछे नमस्कार मुद्रा में अंजलिबद्ध खड़े गाण्डीवधारी अर्जुन हैं। अर्जुन का अंकन कन्नौज की विश्वरूप प्रतिमाओं में भी पाया गया है। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अब विश्वरूप - विष्णु के वाम भाग की आकृतियों पर दृष्टिपात करें। यह भाग उपर से अंशतः खण्डित हैं । अवशिष्ट भाग में उपर दो स्तरो में पाँच ऋषियों की आकृतियाँ दिखायी देती है - उपर दो और नीचे तीन । इनमें नीचे वाली तीनों और ऊपर वाली एक स्पष्टरूप से श्मश्रुधारी हैं। उनके नीचे विष्णु के सन्निकट दो उडती हुयी आकृतियाँ हैं - एक श्रीदेवी की तथा दूसरी सपक्ष गरुड़ की । इस प्रतिमा - फलक के घेरे में रुद्रमुख-पंक्ति नहीं हैं; शायद इसलिए क्योंकि उनका अंकन फलक में उपस्थित हैं। रुद्रमुख-पंक्ति के स्थान पर इस फलक के घेरे में नाग कुण्डलियाँ बनायी गयी हैं। संभवतः वे शेष के विराट और विश्वव्यापी रूप की परिचायिका हैं । इस विश्वरूप- विष्णु प्रतिमा - फलक में कई विशेषताओं को दृश्यमान किया गया है। उनमें निम्नलिखित मुख्य हैं १. शेषशायी विष्णु का अंकन अद्यावधि ज्ञात अनेक विश्वरूप- प्रतिमाओं में चाँगुनारायण की यह प्रतिमा ऐसी अकेली प्रतिमा है जिसमें अनंतशायी विष्णु का अंकन समाविष्ट हो । स्पष्ट तौर पर यह पाताल लोक का प्रदर्शन है। वैसे विष्णु चरणों को अपने करतल पर धारण करनवाले अथवा उनके श्रीचरणों के अगल-बगल नाग-नागिनियों के अंकन से भी पाताल लोक का अंकन स्पष्ट हो जाता । ऐसा अन्य कई फलकों में उकेरा भी गया है। किन्तु शेषशायी विष्णु का संकर्षण रूप विश्वरूप की समस्त प्रतिमाओं में यह अकेला । वस्तुतः इस अंकन के माध्यम से शेष, संकर्षण और विष्णु तीनों स्वरूपों का प्रत्यक्षीकरण संभव हो सका है। २. चार दिग्गजों का अंकन तो ये चार दिग्गज पूर्व, दक्षिण, पश्चिम और उत्तर नामक चार दिशाओं के प्रतीक हैं, परन्तु इनसे विश्व का चतुर्दिक्मण्डल का द्योतन भी होता है जो विष्णु के विराट विश्वरूप का परिचायक है। ये दिग्गज भी अन्य किसी विश्वरूप प्रतिमा में नहीं आँके गए हैं । ३. सभी मानव मुखों का अंकन नेपाल की एक मनोज्ञ विश्वरूप विष्णु प्रतिमा] For Private and Personal Use Only [४३
SR No.535817
Book TitleSamipya 2000 Vol 17 Ank 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhartiben Shelat, R T Savalia
PublisherBholabhai Jeshingbhai Adhyayan Sanshodhan Vidyabhavan
Publication Year2000
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Samipya, & India
File Size8 MB
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