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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विस्तृत प्रवृत्तियों को प्रभावशाली ढंग से ज्यादा लोगों तक पहुँचाया जा सकता है। संस्कृति निर्माण में भौगोलिक रेवेश का काफी योगदान रहता है । संग्रहालयों को मुख्यतः छः भागों में विभाजित किया जा सकता है- कला, तत्त्व, प्रजातिशास्त्र, प्राकृतिक इतिहास, विज्ञान एवं तकनीकी संबंधी संग्रहालय । इन सभी विभागों से संबद्ध प्त अवशेषों की पृष्ठभूमि का समुचित अध्ययन स्थल- संग्रहालय के माध्यम से ही संभव है । अत: मूल पुरावशेषों युक्त शामलाजी स्थल - संग्रहालय एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। शामलाजी स्थल - संग्रहालय प्राचीन ल के सांप्रदायिक सौहार्द को भी प्रस्तुत करने में सहायक हो सकता है । 1 भौगोलिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक स्थिति किसी भी देश की कला एवं स्थापत्य की नियामक होती | कलात्मक अभिव्यक्ति अपनी विषयवस्तु एवं निर्माण विद्या में समाज की धारणाओं एवं तकनीकों का प्रतिबिंब तुत करती है। ये धारणाएँ एव तकनीकें संस्कृति का अंग होती हैं। गुजरात की कला, स्थापत्य एवं प्रतिमाज्ञान के प्रेरक एवं पोषक तत्त्वों के रूप में इन पक्षों का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है । समर्थ एवं प्रतिभाशाली सकों के काल में कला एवं स्थापत्य की नयी शैलियाँ अस्तित्व में आयीं, पुरानी ने नवीन रूप ग्रहण किया, समें बाह्य प्रभाव की भी संभावना थी । क्षेत्रीय प्रवृत्तियों की प्रधानता पूर्व मध्यकालीनस्थ मध्यकालीन मूर्तिकला एक प्रमुख विशेषता थी और यह शामलाजी से प्राप्त मूर्तियों में खासकर पार्वती (जिसे स्थानीय लोग शबरकन्या से जानते हैं, द्विभंग मुद्रा में खड़ी हैं और कला की दृष्टि से अत्यन्त आकर्षक है ) में देखी जा सकती | कलाविदों के अनुसार इस पर भक्ति प्रभाव है । उपरोक्त तथ्यों से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि गुजरात की सांस्कृतिक विरासत के अध्ययन के थ-साथ गुजरात में पर्यटन उद्योग को बढ़ाने के लिए शामलाजी में एक विकसित पुरातात्त्विक स्थल- संग्रहालय आवश्यकता है, जिसकी पूरी संभावनायें यहाँ मौजूद हैं । संदर्भ गुजरात (श्री कस्तुर भाई लाल भाई विद्या विस्तार ग्रंथ श्रेणी -३), गुजरात विश्वकोष ट्रस्ट, अहमदाबाद, २००० पृ.४ (गुजराती) मुद्रिका जानी व एस. के. भौमिक, 'गुजरात मां म्युजियमो', डिपार्टमेंट ऑफ म्युजियम, गुजरात स्टेट, वडोदरा, १९८६, पृ. १ अतुल त्रिपाठी, 'ए काम्प्रिहेन्सिव एंड कम्पेरेटिव स्टडी ऑफ सोलर टेम्पल्स ऑफ गुजरात', यू.जी.सी. प्रोजेक्ट ( अप्रकाशित ) २००१, पृ. १५ एस.बी.राजगोर (मुख्य संपा.) 'गजेटियर ऑफ इंडिया', गुजरात स्टेट, साबरकांठा जिला, अहमदाबाद, १९७४, उपरोक्त, पृ. १८-२१ उपरोक्त, पृ. २०-२१ उपरोक्त, पृ. २१-२२ उपरोक्त, पृ. २१-२४ पृ. ७२८ एन. आर. बनर्जी, 'म्युजियम एंड कल्चरल हेरिटेज ऑफ इंडिया', दिल्ली, १९९०, पृ.१५-१८. पथि • छीपोत्सवांड - खोस्टो - नवे - डिसे. २००१• ७६ For Private and Personal Use Only
SR No.535493
Book TitlePathik 2002 Vol 42 Ank 01 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhartiben Shelat, Subhash Bramhabhatt
PublisherMansingji Barad Smarak Trust
Publication Year2002
Total Pages202
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Pathik, & India
File Size12 MB
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