SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 78
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संगृहीत गुप्तकालीन सोने के सिक्के भी ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्त्वपूर्ण हैं। I कच्छ संग्रहालय- भुज में तो गधैया और वलभी सिक्कों का विपुल भण्डार संगृहीत है । गुजरात में २७ वीं शती से लेकर ११ वीं शती तक गधैय्या सिक्को का ही प्रचलन था । सरदार पटेल यूनिवर्सिटी म्यूज़ियम वल्लभ विद्यानगर में आणंद प्राप्त सिक्कों का संग्रह है जिसमें क्षत्रप • राजाओं और कुमारगुप्त के चाँदी के गरुड़ प्रकार के सिक्के प्रमुख हैं। कुषाणों, सातवाहनो, वलभी सिक्कों के अतिरिक्त गुप् तथा इण्डो-ग्रीक राजाओं के भी सिक्के हैं । कुमारगुप्त के दुर्लभ तिथि अंकित दुर्लभ सिक्के भी यहाँ पर संगृहीत हैं । लेडी विल्सन म्यूज़ियम - धरमपुर में कलचुरि राजा कृष्णराज के १८ सिक्के हैं। ये सिक्के क्षत्रप राजाओं सिक्कों से अत्यन्त साम्य रखते हैं, जिसके कारण साधारण जन के लिए उन्हें पहचानना दुष्कर कार्य है । आजादी के पूर्व 'रसूलखानजी म्यूज़ियम' नाम से प्रसिद्ध हाल का जूनागढ संग्रहालय, १९४९ में इँटा के उत्खनन से प्राप्त पुरावस्तुओं के संग्रह का उल्लेखनीय स्थान है । अमरेली तथा आसपास के विस्तार से प्राप्त सिक्के भी यहाँ पर संगृहीत किये गये हैं, जिनमें क्षत्रप, वलभी, कुमारगुप्त और गधैय्या सिक्के विशेष हैं । क्षत्रप सिक्कों में नहपान, रुद्रदामन् प्रथम, रुद्रसिंह प्रथम, दामसेन, यशोदामा, विजयसेन, दामजदश्री तृतीय विश्वसिंह, चीरदामा, आदि विशेष हैं । कुमारगुप्त के नाम के छः सिक्के प्रदर्शित हैं किन्तु उनमें दो सिक्के शर्व भट्टारक के है क्योंकि उनमें पृष्ठभाग में त्रिशूल तथा अपभ्रंश ब्राह्मी लिपि का लेख स्पष्ट दिख रहा है । लगभग ग्यारह गधैय्या सिक्के भी यहाँ पर प्रदर्शित किए गये हैं । 9 अहमदाबाद शहर में भो.जे.विद्याभवन संग्रहालय में सिक्कों की विपुल संख्या संगृहीत है, जिनमें प्राचीन गुजरात में प्रचलित लगभग सभी प्रकार के सिक्कों का संग्रह किया गया है। आहत सिक्के, इण्डो-ग्रीक राजाओं मैं यूक्रेटाइडस, अपोलोडोटस, मिनेण्डर आदि राजाओं के सिक्के, क्षत्रप राजाओ में भूमक से लेकर स्वामी रुद्रसिंह तृतीय तक के सिक्के संगृहीत हैं । कुमारगुप्त, शर्वभट्टारक, वलभी सिक्के के अतिरिक्त गधैय्या सिक्के भी संगृहीत है जो संशोधन की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं | I ला. द. संग्रहालय, अहमदाबाद का एक विशेष संग्रहालय है । यहाँ पर भी आहत सिक्के और इण्डोग्रीक - राजाओं के सिक्के प्रदर्शित किए गये हैं । इण्डो-ग्रीक - राजाओं में मिनेन्डर और अपोलोडोटस के सिक्के विशिष्ट है। यहाँ का प्रदर्शन आधुनिक होने के कारण अत्यन्त उत्तम है । गुजरात के इन संग्रहालयों में सिक्के प्रदर्शित भी किए गये हैं और रिज़र्व कलेक्शन में भी संगृहीत हैं। सिक्कों का प्रदर्शन किसी भी संग्रहालय के लिए जोखिमभरा और चुनौतीपूर्ण कार्य है। आकार में छोटे तथा संख्या में अधिक होने के कारण सभी सिक्कों का प्रदर्शन तो असंभव ही है। सिक्कों की धातु भी सोना, चाँदी और ताँबा, सीसा अथवा पोटीन होती है अतः इन कीमती धातुओं की सुरक्षा का प्रश्न भी संग्रहालय के सामने रहता ही है। सिक्के के प्रदर्शन में अग्रभाग और पृष्ठभाग दोनों ही प्रदर्शित हो सकें । प्रदर्शन - इस प्रकार से किया जाए कि एक प्रेक्षक शो-केस के अन्दर रखे सिक्कों को देख सके, उस पर लिखे लेख आदि को पढ़ सके, प्रदेशों की प्रकाश-व्यवस्था आदि कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य है । किसी भी संग्रहालय के लिये यह संभव नहीं है कि वह अपने संग्रह में संगृहीत सभी सिक्कों का प्रदर्शन कर सके । अतः प्रत्येक संग्रहालय अपने संग्रह के कुछ विशिष्ट सिक्कों का ही प्रदर्शन करता है । शेष पथिङ • दीपोत्सवांड खोस्टो - नवे. डिसे. २००१• ७० For Private and Personal Use Only
SR No.535493
Book TitlePathik 2002 Vol 42 Ank 01 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhartiben Shelat, Subhash Bramhabhatt
PublisherMansingji Barad Smarak Trust
Publication Year2002
Total Pages202
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Pathik, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy