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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir IIIIII, -.. -- Useeeeeeees. mommammmmmmmmmmmum -r.me-- - - - प्यारा! “प्रकाश" [तर्ज-जगत में श्रेष्ठ प्रभु का नाम] श्री जैन धरम प्रकाश, प्रगटाता है हर्ष-उल्लाश । करता मिथ्या-तम का नाश, प्यारा सब को लगे प्रकाश ॥ १ ॥ रखता अर्हन् नीति पास, जीस का धर्म विषय है खास । करता आध्यात्मिक विकाश, प्यारा सब को लगे प्रकाश ॥ २ ॥ विश्व को लगी तत्त्व की प्यास, करता पूरण यह अभिलाष । इसमें रहती मधुर मीठास, प्यारा सब को लगे प्रकाश ॥३॥ करता मिथ्या-तत्व का ह्रास, रखता सम्यक्-तच ही पास | है यह चारित्र-पोपक खास, प्यारा सब को लगे प्रकाश ॥ ४ ॥ अडसठ वर्ष का यह इतिहास, अनंते आत्म का हुवा विकाश । इस पर सब को है विश्वास, प्यारा सब को लगे प्रकाश ।।५।। देखा विश्व-नियम यह खास, जीसने तम में किया प्रकाश । हवे है जग से वही उदास, प्यारा सब को लगे प्रकाश ॥६॥ ऋषि-महर्पि-तीर्थकर खास, जीनसे जग में दिव्य प्रकाश । किया है अधर्म-तम का नाश, प्यारा सत्र को लगे प्रकाश ।। ७ ।। है जीवन का ध्येय उजाश, कर के ज्ञानावरणीय नाश । करना केवलज्ञान प्रकाश, प्यारा सब को लगे प्रकाश ॥८॥ था वृद्धिचन्द्रसरि का हाथ, प्यारे ! रहे कुंवरजी साथ । सेवाग्रेभी था जीवराज, प्यारा सब को लगे प्रकाश ॥ ९ ॥ इसके लेखक है विद्वान् , जीन को तच्चों की पहिचान । जीससे हर हृदय में निवास, प्यारा सब को लगे प्रकाश ॥१०॥ है राज को प्यारा ! प्रकाश, मिटेगा इससे कर्म चिकाश । करेगा धर्म का पूर्ण प्रकाश, प्यारा सब को लगे प्रकाश ॥ ११ ॥ राजमल भण्डारी-आगर [ मालवा ] - : - E Dieseeeeeeeeeeeeeeee.m DUD For Private And Personal Use Only
SR No.533819
Book TitleJain Dharm Prakash 1953 Pustak 069 Ank 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Dharm Prasarak Sabha
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1953
Total Pages28
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Dharm Prakash, & India
File Size12 MB
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