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गरम ::.
मय स्थिति जहां जवां आवश्यकता हो पाटगाला नया पुस्तकालय खोलकर शिक्षारचार करना अत्यन्त आवश्यक है हमारे समाजमें बहुतम अनाथ वालक मौजूद है उचित गनिमे उन्हें शिक्षा-प्रदान की जाये तो कई लीडर हम लोगाय नैयार हो जाय.
हम अपने वालको तथा अनाथ बालकोंकी शिक्षा के लिय अधिक ध्यान देनकी जमग्न है और इसके लिये एक उच्च श्रेणीका महाविद्यालय और छात्रावास । बोर्डिंग हाउस ) किसी उपयुक्त स्थानम स्थापन किया जाय और उसकी शाग्या शाला में हर जगह खाली जांय. यह काम किसी एक आदमीसे नहीं हो सकता. समाजके श्रीमानाको मिलकर इस महकायके सम्पादनम दत्तचित्त होना आवश्यक है. जैन विद्वानाको बचत है कि शिक्षापचारार्थ जैन कोस तैयार की और इस शिक्षाप्रचार आना थोडा थोडा समय देकर सहायता पहुंगावं.
वंडे शोकले कहना पढना है कि अविद्याक प्रभाव महन्वों संस्कृत नया पागधी भाषाक अन्य भण्डागम मह रहे है.
शिक्षा चाकं मावही उन ग्रन्थोंका उद्धार शुरू हो जायगा. ये ग्रन्थ इतने महत्व है कि प्रकागिन हानेपर यानिमिटयान वाग्यल हो सकते हैं जिसने जैन साहित्यका प्रचार हानेमें देरी न लोगी.
मजना : अज्ञानवश होकर अपना ममाज बहुतसी कुरीतियांका केन्द्र बनता जा रहा है. बालविवाह, वृद्धविवाह, कन्याविक्रय आदि बुगइयोसे ममाजका दिन दिन अयापान हो रहा है. इस बारह वर्षके लडकेका विवाह कर दिया जाता है ऐसी अवस्थाम के शिक्षास वञ्चित रह जाते हैं, उन्हें - अपना जीवन निर्वाह करना कटीन होजाता है यदि पैतृक सम्पत्ति हुई भी, तो उसकी रक्षा करनेमें असमर्थ हान है. उनकी सन्नानभी बुद्धिहीन, बलहीन पैदा हानी है. इस लिये बालविवाहकी कुप्रथाको समाजमे शीघ्र दूर करना प्रत्येक समझदार आदमीको उचित है. इसी तरह युद्धविवाह भी समाजको विगाड रहा है. पचास साठ वर्षके वृद्ध वावा आठ दस वर्षकी कन्यासे विवाह करलता है ! कैसा भयंकर दृश्य :: दन्तभन्न करके तथा बालोंको सफेद करके गगन लो नगीना दे जाना है. गादी दिनों बाद वह नाना अपनी एनीको
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