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मामान अश
अपने मूलरूप को कायम नही रूग्ब सकता यह अब सोचने की बात यह है कि यह संप्रउसकी मजबूरी होती है।
दाय किन लोगों के हाथ में रहता है । लोग धर्म धर्म झरना है और सम्प्रदाय रममें आकर के उपासक होता है और मंप्रदाय के अनुयायी। गिरने वाले नदी, नाले और नालियां । झरने की उपासक आराधक, विवेक और शान्त होता है। स्वच्छता और पवित्रता की गारंटी दी जा सकती जबकि अनुयायी उपद्रवी और अशान्त अनुयायी है. पर नदी नाले और नालियों की पवित्रता की के लिये मप्रदाय ही सब कुछ होता है और गारटी किसी भी हालत में नहीं दी जा सकती। उपासक के लिये धर्म । 'प्रदाय का पाभोह
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जो कुछ हो रहा है सभी उपद्रवों की जड है। व्यक्ति को धार्मिक वह धर्म के नाम पर ही हो रहा है, पर इममें होना चाहिये सांप्रदायिक नहीं यदि सांप्रदायिक धर्म का कोई दोष नहीं है। धर्म इसके लिये हो भी तो उसमें सांप्रदायिक व्यामोह नहीं' कमी भी उत्तर दायी नहीं हो सकता। दोपी
होना चाहिये।
आवश्यकता है प्रत्येक धर्म के लोगों में और नरदायी केवल मम्प्रदाय है सम्प्रदायिक
घर कर गये सांप्रदायिक व्यामोह को दूर करना । लोग है । शर्मा और सम्प्रदाय को अलग देखे ।
हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है, पर सांप्रदायिक किसी की हत्या या खून करने का उपदेश धर्म नहीं देता न दे सकता है, पर सम्प्रदाय इसकी
व्यामोह निरपेक्ष नहीं है। सभी राजनीतिक
पार्टियां अपने हितक लिये इस मापदायिक अनुमति देता है। धर्म को महान, दिव्य और
व्यामोह को बढावा देती हैं। तारणहार कहा जा सकता है. पर उसके सम्प्र
जब तक इस व्यामोह को दर नहीं किया जाता दाय को कदापि महान, दिव्य और तारणहार
तब तक ६ दिसम्बर की घटनाप बार बाता नहीं कहा जा सकता। न मम्प्रदाय इस रहेगा । अंतमे विभांश दिव्यांलक शब्दों मेंयोग्य होता है।
मानकी आंधी हवा को अब ही तो राकिय जो दंगे हो रहे हैं वे धार्मिक नहीं, सांप्र- रोकिये नफरत की यह आंधी पर गकिथ ॥ अयिका है । इमलिये जो कुछ हो रहा है व २६ मख्य हाथों में लिये है आज भी नंगीरी। माप्रदायों के द्वारा हो रहा है, धर्म के द्वारा कल हो पाये न अब इन्मान, बढ़ कर रोकिये ।। नहीं। समार का प्रत्येक धर्म संप्रदाय क है यहां मंदिर, वहां मस्जिद, वहां पर कत्लगाह । शिव में कसा हुआ है। अयोध्या में जी बावरी ५ मिटने की तरफ रफतार, मककर रोकिये ।। मस्जिद ढाई गई वह किमी चमक द्वारा नहीं' आ. औरन की न फूट और बच्चे की । पापा एक पक्ष या सम्प्रदाय के द्वारा ढाई गई है। इस कराही की कहानी को कही पर वि ।। मस्जिद गिरने के बाद उसकी प्रतिक्रिया में जो यह जमीं का ही लहू है इस तरह बहने न हिन्दु और जैन मन्दिर तोडे जलाये गये वे
आसमां सुनता नहीं इसको जमी पर रोकिए। दम के द्वारा नही', सौंप्रदाय के द्वारा तोट गये
प्रस्तुत : प्रकाशचन्द्र बोहरा, बाडमेर
श्री परमार अत्रिय जैन सेवा समा. और लाये गये हैं।
पाचापा-३८५३६. (गजरात)
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