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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४] [ आत्मानंद प्रकाश ट्रेन लेकर आए संघपति का और सभी प्रसिद्ध रहा है । इस प्रसंग उनका जितना कार्यकर्ताओं का उत्तम व्यवस्था के लिए अभिनंदन किया जाए उतना कम है । अभिनंदन किया गया । अन्त में पूज्य गुरुदेव ने अपना सक्रांति स्पैशल ट्रेन के संघपति श्री रोशनलालजी सदेश देते हुए कहा कि मेरे पारण पर का अभिनंदन पारणा समिति के अध्यक्ष श्री पहली वार पंजाब से इतने लोग आए है। वी. सी. जैन ने किया पंजाबी गुरुभक्तों की भक्ति देखकर मेरा रोम आवास एवं भोजन की उत्तम व्यवस्था राम पुलकित हुआ है । स्पशल यात्रा ट्रन के के लिए श्री आत्म वल्लभ जैन सेवा मंडल स घपति श्री रोशनलालजी एव बसों के सादडी के अध्यक्ष श्री बालचंदजी रांका सांघपति श्री राजकुमारजी ने अपने साथ का अभिनंदन किया गया । दूसरों को भी यात्र करवा कर महान लाभ प्राप्त किया हैं । मुझ पंजाब को एक ही ___इसके पूर्वं कार्य दक्ष आचार्य श्रीमद् ससंदेश देना है वह एकता और समन्वय का । विजयजगच्चन्द्र सूरिजी महाराज ने मंडल की पंजाब अब तक एक रहा है आगे भी एक सेवाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि मडल रहने में ही उसका गौरव है। हमें एक भी की निस्वार्थ सेवाएं आपके सामने हैं । पूज्य ऐसा कार्य नहि करना चाहिए जिससे पंजाब गुरूदेव के इस ऐतिहासिक पारणा महोत्सवपर की एकता को ठेस लगे । जिस कर्मठता और परिश्रम से मडल ने अपनी सेवाएं दी है वह सचमुच प्रशंसनीय संक्रांति भजन के बाद एवं स्तोत्र पाठ के है । मंडल अपने निस्वार्थ कार्य के लिए सदा बाद पू गुरुदव नसक्राति __ बाद पू गुरुदेव ने संक्रांति नाम सुनाए । • नर-देहकी श्रेष्ठता धर्माराधन करने में, दान शील, तप और भावनामय जीबन ___व्यतीत करने में तथा अपनी आत्मा को कर्म-भार से मुक्त करने में है । ० मानव की श्रेष्ठता उत्तमोत्तम करनी करने की क्षमता में है । For Private And Personal Use Only
SR No.532017
Book TitleAtmanand Prakash Pustak 091 Ank 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramodkant K Shah
PublisherJain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publication Year1993
Total Pages26
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Atmanand Prakash, & India
File Size3 MB
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