________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गय
नयम .
[ पूछू मैं सब नदी गिरि से
वृक्ष-जालियाँ से सब तरु से हँसते जाते नहिं बतलाते पागलपन कहते है सब जन बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन ? ॥ ४॥
पुष्परूप से हँसती बेली
शाखा करसे करती केली रोते रोते सूखे आँसू भाता नहिं मुज को कोई भोजन बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन ॥५॥
दिनकर ! कह दो कहां ऋषभ है ?
पृथ्वी कण कण तुम्हें ज्ञात है किरण फेंक तुम चले मार्ग से नहिं बोलोंगे क्या तुम राजन् ! बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन ? ॥ ६॥
निशादीप ! तूं शीतल करसे
शांति ऋषभकुं करे दूरसे जरूर तुझको ज्ञात हि होगा मेरा शिशु जो है चंद्रानन बोलो कोई घतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन ? ॥ ७ ॥
अगनित हो तुम तारे नभमें ।
चमक रहे हो हँसते मनमें बतलाओ तुममें से कोई वालक मेरा नरपंचानन बोलो कोई बतलाओजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन ? ॥ ८॥
मरुदेवी है शोकविह्वला
पुत्रविरह से दुःख संकुला रोते रोते नयन पटल ही आय गये नेत्रों के गंजन बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन ? ॥९॥
भरत तनुज श्री ऋषभदेव के
वंदन आये माताजी के पूछे माता भरत पौत्र से पता कोई पाया क्या साजन? बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन? ॥१०॥
भरत कहे क्या सुतसमिलना।
वैभव उनका स्वयं निरखना? आवो दर्शन करने उनका इंद्र स्वयं करते है वंदन बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन ? ॥११॥
गज अंबारी करी सवारी नानीजी पर भक्ति घारी
:
g
For Private And Personal Use Only