________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
SHRI ATMANAND
श्री जोमानं प्रकाश
પુસ્તક પ
ક
www.kobatirth.org
१०
मेरी भावना
मैत्री भाव जगत में मेरा सब जिवों से नित्य रहे, उरसे करुणा स्त्रोत वहे । क्षोभ नहीं मुझको आये, ऐसी परिणति है। जावे ॥
दीन दुःखी जीवों पर मेरे दुर्जन-क्रूर-कुमार्ग रतों पर साम्य भाव रक्खूं मैं उन पर
गुणी जनों को देख हृदय में मेरे प्रेम उमड़ आये, बने जहां तक उनकी सेवा करके यह मन सुख पावे। होउ नहीं' 'कृतघ्न कभी मैं द्रोह न मेरे उर आवे, गुण ग्रहण का भाव रहे नित दृष्टि न दोषों पर जावे ॥
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
PRAKASH
MINIQ
181215
श्रीमान सला
For Private And Personal Use Only
શ્રાવણ
सं. २०१८