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कलिकालसर्वज्ञ १००८ श्री हेमचंद्राचार्य स्तुति
तरज--"धनधन वो जगमें नरनार विमलाचल के जानेवाले "
धन धन हेमचंद्र भगवान दयाके स्रोत बहानेवाले । प्रतिबोधा कुमारपाल राजा साचा प्रजापाल । जगजीवनका रखवाल दयालु कृपालु कहानेवाले ॥१॥ कीना करुणा विस्तार वरताया श्रेष्ठाचार । किया करुणामय संसार पशुबलिदान हटानेवाले ॥२॥ उपदेशक सरि अनेक हुए तुम जैसे तुम एक । रख ली राजाकी टेक सलुक बागीसे करानेवाले ॥ ३ ॥ न्यायी कवि योगिराज जिनशासनके शिरताज । जैनेतर जैन समाज सभीको मित्र बनानेवाले किया सेवक पर उपकार बनाया शासनका सरदार । आतमलक्ष्मी आधार हर्ष वल्लभको दिलानेवाले ॥५॥
आचार्य महाराज श्रीमद्विजयवल्लभमरिजी
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