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21 આમાનંદ 5: શ. एक २ डब्बे में एक २ प्रति रक्खी गई हैं । स साधारण तौर पर मनुष्य मात्र कह सकता है कि सेंकडों वर्षों की पुस्तकों की जिन्दगी बढ़ गई है ।
इत्यादि और भी अनेक उपकार हा जिन का वर्णन कहां तक किया जा . सकता हैं ? श्री आचार्यमहाराज श्री विजयललितमूरिजी महाराज का मोतीया भी आपश्रीजी की छत्रछाया में यहां ही निकला है और श्रीआत्मानंद जैन कोलेज का पाया भी यहां ही पड़ा है ।
इसो चौमाने में शेठ कांतिलाल इंश्वरलाल जो की आपश्रीजी के परम भक्त्व हैं राधनपुर पधारने की विनति करने को आये । उन्होंने अजे की कि हमने जैन बोर्डिग को स्थापना की है और किस्तामस के दिनों में उसकी उदघाटन क्रिया आपश्रीजी को मौजूदगी में ही हो ऐसी हमारी प्रार्थना है ! श्रीनी साहेबने दानवीर शेठ साहेब की प्रार्थना को सहर्ष बूल किया और फर्माया कि राधनपुर हमारे धार्मिक जीवन का जन्मस्थान है, आप जैसे भाग्यवान लाखों रुपये खर्च कर धार्मिक कार्य करें तो हमें भी अपना योग उस में लगाना ही चाहिये । गत वर्ष शान्ताकझ में जब आप के सकल श्रीसंघने मिल कर विनति की थी तब हमारी फरसना नहीं हो सकी, किन्तु अव देवगुरु ने कृपा की तो हम जरूर आने का प्रयत्न करेंगे, आप खुशी से अपनी तैयारी करें।
इस बात को सुनकर दानवीर ने और उनकी धर्मपत्नीने बहुत ही हर्ष मनाया तथा रु. ११००० अग्यारह हजार रुपये पंजाब में होनेवाली जैन कॉलेज फंड में देकर बम्बई चले गये । उस वक्त लोकमान्य गुलाबचन्द जी ढढा भी वहां आये हुए थे उन्होंने श्री पार्श्वनाथ उमेद जेन बालाश्रम के वास्ते दानवोर से प्रार्थना की, उसके जवाब में दानवीर शेठने खुश होकर लोकमान्य साहब से कहा कि आप खुशी से बम्बई पधारें ।
बाद आचार्य महाराज पाटण पधारे और ज्ञानमन्दिर बनवाने का अत्युत्तम कार्य निश्चित हो गया। यहां से विहार कर आप उमेदपुर प्रतिष्ठा महोत्सव पर पधारेंगे।
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